खंडपीठ ने अभियान के नाम पर दुकानों के आगे की गई बेतरतीब तोडफ़ोड़ को लेकर अदालत में मौजूद नगर निगम सीईओ को फटकार लगाई। खंडपीठ ने निगम के वकील आरएस सलूजा से पूछा कि हाईकोर्ट ने किसी तरह का अभियान चलाने का आदेश कब दिया था? खंडपीठ ने कहा कि अदालत ने तो सिर्फ अधिकारियों को अपना कत्र्तव्य ठीक ढंग से निभाने की बात कही थी।
अधिकारी ठीक से काम नहीं करते, अब कोर्ट ने काम करने को कह दिया तो वे जानबूझ कर शहर में हव्वा खड़ा करने का प्रयास कर रहे हैं।यह अधिकारियों का आपराधिक कृत्य है जिसके लिए उनको सजा मिलनी चाहिए।
खंडपीठ ने समाचार पत्रों का हवाला देते हुए अधिकारियों के खिलाफ स्व प्रेरित प्रसंज्ञान लेकर नोटिस जारी करने को भी कहा। इस पर अधिवक्ता सलूजा ने निगम अधिकारियों की ओर से स्पष्टीकरण दिया और अभियान के दौरान निगम की ओर से की गई तोडफ़ोड़ से हुए नुकसान की भरपाई करने की अंडरटेकिंग दी।
इस पर खंडपीठ ने अधिकारियों के खिलाफ नरमी बरतते हुए शहर के हित में अपने कत्र्तव्यों की पालना जारी रखने की हिदायत दी। इससे पहले न्यायमित्र अशोक छंगाणी, विपुल सिंघवी व पंकज शर्मा ने अपनी रिपोर्ट अदालत में पढ़ कर सुनाई। इसमें निगम द्वारा बेतरतीब ढंग से चलाए गए अभियान व यातायात पुलिसकर्मियों की लापरवाही का जिक्र था।
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