वे राजस्थान पुलिस की ओर से फरवरी 2011 में लागू किए गए सीसीटीएनएस के बारे में जानकारी लेने आए थे। स्टेट क्राइम ब्रांच के हैड और सीसीटीएनएस के नोडल ऑफिसर शरत कविराज ने सिस्टम के बारे में उनको जानकारी दी। इससे पहले उन्होंने पुलिस मुख्यालय में डीजीपी हरीशचंद्र मीना से मुलाकात की।
उन्होंने बताया कि यह योजना लागू होने के बाद दूसरे राज्यों की पुलिस को अपराध व अपराधियों के आंकड़े शेयर करने में आसानी होगी। इससे यह होगा कि अगर कोई अपराधी दूसरे राज्य में जाकर अपराध करेगा तो उसकी जानकारी संबंधित थाने को ऑनलाइन मिल जाएगी और उसको ट्रैकिंग कर पकड़ना आसान हो जाएगा।
राजस्थान में हुआ सबसे पहले लागू
शरत कविराज ने बताया कि क्राइम कंट्रोल ट्रैकिंग सिस्टम देश में पहली बार राजस्थान में 8 फरवरी 2011 को लागू हुआ था। इसमें राजस्थान में 1960 से अब तक के अपराधियों के बारे में ऑनलाइन जानकारी उपलब्ध है। सिस्टम लागू होने के बाद राज्य के थानों से 32140 पुराने आपराधिक मामलों का निस्तारण हुआ है। अभी 47903 मामलों में कार्रवाई होनी है।
मुस्तैदी से काम करे पुलिस : कमिश्नर
कमिश्नरेट के पुलिसकर्मी अपराध नियंत्रण के लिए मुस्तैद होकर कार्य करें। उन्हें बांटी गई बीट बुक की सभी प्रविष्टियां नियमित भरें, ताकि अपराधियों को पकड़ने में विशेष मदद मिल सके। यह बात पुलिस कमिश्नर बी.एल. सोनी ने कही।
वे शहर पुलिस लाइन में सोमवार से शुरू हुई कांस्टेबल से सहायक उप निरीक्षक (एएसआई) स्तर तक के पुलिसकर्मियों की प्रशिक्षण कार्यशाला में बोल रहे थे। तीन दिवसीय कार्यशाला में पुलिसकर्मियों को पुलिस अनुसंधान एवं पुलिस व्यवहार से संबंधित विषयों पर वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों और विषय विशेषज्ञों द्वारा प्रशिक्षण दिया जाएगा।
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