आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

09 जुलाई 2012

देश में भ्रष्टाचार पर सर्वमान्य परिभाषा का अभाव

हर मामले में अपनाएं जा रहे हैं अलग मानदंड
घोटालों पर कैग और सरकार आमने-सामने
देश में उचित आवंटन नीतियों का है अभाव
प्राकृतिक संसाधनों का नागरिक हित में प्रयोग संभव

2जी घोटाले के मुख्य आरोपी तत्कालीन संचार मंत्री ए राजा को तो जेल हुई लेकिन कोयला घोटाले के छीटें प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर भी पड़ रहे हैं। इसका कारण यह है कि जब यह गड़बड़ी हुई, उस समय कोयला मंत्रालय मनमोहन सिंह संभाल रहे थे।

भ्रष्टाचार को आप कैसे परिभाषित करेंगे? एक परिभाषा तो यह है कि किसी व्यक्ति को किसी काम के बदले अवैध रूप से कोई रकम या वस्तु दी जाती है तो वह भ्रष्टाचार की श्रेणी में आता है। भारत में अनेक घोटाले हुए हैं। इनमें से कई घोटालों की प्रकृति एक दूसरे से भिन्न है। ऐसे में भ्रष्टाचार की परिभाषा को व्यापक बनाए जाने की जरूरत है।


2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाला
उदाहरण के लिए, हम साल 2008 के दौरान 2जी स्पेक्ट्रम के आवंटन का मामला ले सकते हैं। डीएमके पार्टी के ए. राजा उन दिनों दूरसंचार मंत्री थे। उन्होंने नीलामी के बजाय पहले-आओ-पहले-पाओ आधार पर स्पेक्ट्रम का आवंटन किया। इसके लिए उन्होंने स्पेक्ट्रम की कीमत का आधार 2001 की कीमत को रखा। स्पेक्ट्रम की कीमत कम रखने और पहले आओ-पहले पाओ की नीति चुनने के बदले लाभार्थियों ने रिश्वत दी। लेकिन रिश्वत की यह राशि सरकार को हुए राजस्व नुकसान की तुलना में बहुत कम है।


नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (सीएजी) ने सरकार को 1.76 लाख करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान लगाया। इस अनुमान का आधार यह है कि अगर दूरसंचार मंत्रालय 2जी स्पेक्ट्रम की नीलामी करता तो सरकार को इतनी रकम और मिलती। सीएजी के इस अनुमान पर सवाल खड़े किए जा सकते हैं कि वास्तव में इतना नुकसान हुआ या नहीं, लेकिन यहां यह कहना तो वाजिब है कि स्पेक्ट्रम आवंटन के लिए अपनाई गई नीति संदेहास्पद थी और सरकार के खाते में जो हजारों करोड़ रुपये जाते, वह नहीं गई।


कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाला
सीएजी की ही एक और रिपोर्ट है कोल ब्लॉक के आवंटन पर। वैसे तो यह रिपोर्ट 'लीकÓ होकर सार्वजनिक हुई है, लेकिन इसमें भी कहा गया है कि 2004 से 2009 के दौरान सार्वजनिक और निजी कंपनियों को मनमाने तरीके से कोल ब्लॉक का आवंटन किया गया। इसके लिए नीलामी की प्रक्रिया को दरकिनार कर दिया गया। महत्वपूर्ण बात यह है कि कोल ब्लॉक का यह आवंटन उस समय हुआ जब कोयला मंत्रालय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के जिम्मे था। मई 2004 से लेकर यूपीए -एक के पूरे कार्यकाल और यूपीए-दो में मई 2009 से जनवरी 2011 तक कोयला मंत्रालय मनमोहन सिंह ने ही संभाला था।


कोल ब्लॉक का आवंटन निजी बिजली कंपनियों के अलावा सीमेंट और स्टील कंपनियों के कैप्टिव पावर के लिए किया गया था। प्रभारी मंत्री होने के नाते प्रधानमंत्री को यह मालूम होना चाहिए था कि सार्वजनिक कंपनी कोल इंडिया द्वारा आपूर्ति किए जाने वाले कोयले की कीमत और इन कंपनियों की कोयला उत्पादन लागत में कितना अंतर है। देश के प्राकृतिक संसाधनों पर वैधानिक हक नागरिकों की प्रतिनिधि सरकार का होता है। अगर कोल ब्लॉक का आवंटन होता तो उससे मिलने वाली ज्यादा रकम का फायदा सरकार यानी अंतत: देश के नागरिकों को होता।


अपनी रिपोर्ट में सीएजी ने अप्रत्याशित लाभ (विंड फॉल गेन) के दो अनुमान लगाए हैं। एक अनुमान 6.31 लाख करोड़ रुपये का है जिसमें सार्वजनिक कंपनियों को होने वाला लाभ 3.37 लाख करोड़ का और निजी कंपनियों का 2.94 लाख करोड़ रुपये का है। यह अनुमान आवंटन के दौरान कोयले की बाजार कीमत के आधार पर लगाया गया है। विंडफॉल गेन का दूसरा अनुमान 10.67 लाख करोड़ रुपये का है जिसमें सार्वजनिक कंपनियों का लाभ 5.88 लाख करोड़ का और निजी कंपनियों का 4.79 लाख करोड़ का है। इसमें 31 मार्च 2011 की कीमत को आधार बनाया गया है।


सबके हैं अपने अपने दावे
भले ही लोग मान रहे हैं कि कोयला ब्लॉक और 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन में भारी घोटाला हुआ है लेकिन इन पर मंत्रालयों और कैग जैसे दूसरे संगठनों अपने अपने दावें हैं। कोयला ब्लॉक आवंटन के मामले पर कोयला मंत्रालय का कहना है कि इनमें कोई घोटाला हुआ ही नहीं। मंत्रालय के बयान के मुताबिक, 137 कोयला ब्लॉक में से 62 ब्लॉकों का आवंटन सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को किया गया।


इनमें से 17 ब्लॉक बिजली क्षेत्र से जुड़ी कंपनियों को आवंटित किए गए। मंत्रालय का कहना है कि आवंटन सही तरीके से किया गया है और इसमें किसी तरह का कोई भ्रष्टाचार नहीं हुआ है।
वहीं कैग का दावा है कि इसमें हजारों करोड़ रुपये का नुकसान सरकार को हुआ है।


कैग का कहना है कि सरकारी दावें ठीक नहीं और कानून सम्मत नहीं है। अपने पक्ष को मजबूत करने के लिए कैग ने सुप्रीम कोर्ट के 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले दिए गए निर्णय को शामिल किया है। इस निर्णय में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सरकार प्राकृतिक संसाधनों का अपने नागरिकों के हितों में प्रयोग कर सकती है लेकिन बिना सार्वजनिक हित सुनिश्चित किए इनका आवंटन निजी कंपनियों का व्यक्तियों को नहीं किया जा सकता है।


इन घोटालों ने राजनीतिक स्तर पर भी तूफान मचाया है। 2जी घोटाले के मुख्य आरोपी तत्कालीन संचार मंत्री ए राजा को तो जेल हुई लेकिन कोयला घोटाले के छीटें प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर भी पड़ रहे हैं। इसका कारण यह है कि जब यह गड़बड़ी हुई, उस समय कोयला मंत्रालय मनमोहन सिंह संभाल रहे थे।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...