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15 जुलाई 2012

क्या! इस 'कचरे' में छिपा है 320 टन सोना और 7500 टन चांदी

नई दिल्ली। अपना पुराना कंप्यूटर, मोबाइल फोन या कोई और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण अगर आप कचरे में फेंक रहे हैं तो जरा ठहरिए, क्योंकि इसमें लगा सोना-चांदी आपके लिए फायदे का सौदा साबित हो सकता है।



विशेषज्ञों के अनुसार दुनिया में कंप्यूटर, मोबाइल फोन, टेबलेट तथा अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के निर्माण में हर वर्ष करीब 320 टन सोना और 7500 टन चांदी का इस्तेमाल किया जाता है। जिसमें से सिर्फ 15 प्रतिशत धातु ही वापस निकल पाती है।



शेष कचरे में बदल कर बर्बाद हो जाती है। इन उच्च तकनीक वाले उपकरणों के निर्माण में हर वर्ष करीब 21 अरब डॉलर अर्थात लगभग 1155 अरब रुपए मूल्य के सोने-चांदी का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें से 16 अरब डॉलर का सोना तथा 5 अरब डॉलर की चांदी होती है।



घाना की राजधानी अक्रा में हाल ही में संयुक्त राष्ट्र विश्वविद्यालय द्वारा ई-कचरे पर आयोजित एक सम्मेलन में विशेषज्ञों ने बताया कि खनन अयस्क से निकलने वाली बहुमूल्य धातु का 40 से 50 गुना ई-कचरे में उपलब्ध है।


विशेषज्ञों के अनुसार इलेक्ट्रॉनिक और बिजली उपकरणों में वर्ष-2001 में करीब 197 टन सोने का इस्तेमाल हुआ, जो सोने के कुल उत्पादन का 5.3 प्रतिशत था। यह पिछले वर्ष बढ़कर 320 टन हो गया जो विश्व के कुल उत्पादन का 7.7 प्रतिशत है।


इस दशक के दौरान विश्व में सोने की आपूíत में 15 प्रतिशत का इजाफा हुआ। ई-कचरे का सही ढंग से निपटान नहीं होने के कारण विकासशील देशों का करीब 50 प्रतिशत सोना बर्बाद हो जाता है। विकसित देशों में यह स्थिति कुछ बेहतर है फिर भी वहां करीब 25 प्रतिशत सोना कचरे के साथ दफन हो जाता है।


विश्व में इलेक्ट्रॉनिक और बिजली उपकरणों की बिक्री जिस तेजी से बढ़ रही है उसी तरह ई-कचरे में छिपे सोने-चांदी तथा अन्य बहुमूल्य धातुओं की मात्रा तेजी से बढ़ रही है। एक अनुमान के अनुसार हाल में बाजार में उतरे टेबलेट कंप्यूटरों की बिक्री की संख्या इस वर्ष दस करोड़ तक पहुंच सकती है। वर्ष-2014 में इसकी संख्या बढ़कर दोगुनी हो सकती है।


पर्यावरणविदों की मानें तो इसमें विकसित देशों से आयात के कारण 50,000 टन का और इजाफा होगा यद्यपि इसके आयात पर प्रतिबंध लगा हुआ है। देश में ई-कचरे के निपटान की पुख्ता व्यवस्था नहीं होने के कारण यह पर्यावरण के लिए चिंता का विषय बना हुआ है।


नागपुर 10वें पायदान पर


देश के जिन 10 शहरों में सबसे अधिक ई-कचरा निकलता है उनमें मुंबई सबसे ऊपर है। इसके बाद दिल्ली, बंगलुरु, चेन्नई, कोलकाता, अहमदाबाद, हैदराबाद, पुणे, सूरत और नागपुर का नंबर है। देश में कुल ई-कचरे का 70 प्रतिशत हिस्सा दस राज्यों महाराष्ट्र, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, गुजरात, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, कर्नाटक, मध्यप्रदेश और पंजाब में निकलता है।

सात साल में आठ गुना बढ़ा ई-कचरा


सरकारी आंकड़ों के अनुसार भारत में ई-कचरा पिछले सात वर्षो में आठ गुना बढ़ गया है। केंद्रीय पर्यावरण और वन मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार चालू वर्ष के अंत में देश में आठ लाख टन ई-कचरा होगा।

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