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01 जुलाई 2012

इस 1 बात की बांध लें गांठ!..तो न आएगी 100 झूठ बोलने की नौबत


किसी भी रूप से भरोसा कमजोर होते ही व्यक्तिगत जीवन के साथ-साथ पारिवारिक और सामाजिक रिश्तों में उथल-पुथल मच जाती है। क्योंकि असल में हर रिश्ता विश्वास की मजबूत नींव पर खड़ा रहता है। यही विश्वास भक्त और भगवान के संबंधों में भी बहुत अहमियत रखता है।

शास्त्रों में रिश्तों में विश्वास को कायम रखने के लिए ही जिस सूत्र को जीवन में उतारने, अपनाने के लिए सबसे जरूरी माना गया है। वह सूत्र चरित्र, व्यक्तित्व, व्यवहार और विचार को इतना पावन बना देता है कि इंसान को शक्ति और आत्मविश्वास से भर हमेशा निर्भय रखता है। शास्त्रों में बताया यह बेजोड़ सूत्र है -

सत्य को अपनाना।

शास्त्रों के मुताबिक सत्य ही भगवान है। इसलिए आचरण, विचार, वाणी, कर्म, संकल्प सभी में सत्य का होना ईश्वर का जप ही है। फिर इंसान अगर देव उपासना के धार्मिक कर्मकाण्डों से चूक भी जाए तो भी वह भगवान का कृपा पात्र बना रहता है। हिन्दू धर्मग्रंथ श्रीमद्भगवद्गीता में भी सत्य की अहमियत बताते हुए लिखा गया है कि - नासतो विद्यते भावो नाभावो विद्यते सत:।

सरल अर्थ है कि असत्य नाशवान होता है, बल्कि सत्य का कभी नाश नहीं होता, न ही कोई बदलाव नहीं होता है।

सांसारिक जीवन में नष्ट होने वाली चीजों या विषयों से इंसान मोह करता है, किंतु सत्य जैसे अमरत्व का सूत्र अपनाने में बहुत विचार और तर्क करता है। जबकि सत्य को संकल्प के साथ अपनाने की कोशिश करे तो वह इंसान की ताकत बन जीवन में शांति व सुख लाकर प्रतिष्ठा और यश का कारण बनता है।

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