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23 जून 2012

सरकारी अनुदान से छपी किताब में राजनीति गंदा पोखर, नेता सारे भ्रष्ट!

जयपुर.सरकारी अनुदान से छपने वाली किताब में राजनेताओं को डकैत, भ्रष्ट और चरित्रहीन बताते हुए राजनीति को गंदा-बदबूदार पोखर बताया गया है। राजस्थान ब्रजभाषा अकादमी के त्रैमासिक ‘ब्रजशतदल’ में लिखा है कि 2-जी, आदर्श सोसायटी, कॉमनवेल्थ गेम भ्रष्टाचार की क्लासिक गाथाएं हैं। भ्रष्ट नेताओं के प्रति समाज में आक्रोश है। समय रहते नेताओं ने सन्मार्ग नहीं अपनाया तो इनसे जनता निबटेगी। किताब में राममनोहर लोहिया जैसे नेता की टिप्पणी का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि जब संसद सत्र शुरू होता है तो चंबल की डकैती में कमी आ जाती है और सत्र समाप्त होते ही यह कई गुना बढ़ जाती है। लेखक हीरालाल शर्मा के ‘राष्ट्रीय संदर्भन मॉहि ब्रजभाषा कौ योगदान’ आलेख में राजनेताओं के चरित्र को केंद्रित किया गया है। अकादमी के पूर्व अध्यक्षों का कहना है कि किताब में इस तरह का आलेख छापकर शायद सरकार ही ये स्वीकार कर रही है कि वह बेईमान है।इस अंक को प्रतिबंधित किया जाना चाहिए। किताब में छपे इस आलेख से ऐसा लग रहा है जैसे सरकार ही स्वीकार रही है कि हम बेईमान, चोर-डकैत हैं। यह गंभीर पत्रिका है। संपादक को ऐसे आपत्तिजनक अंशों को ठीक करना चाहिए था। इस पर खेद जताना चाहिए। इससे देश के अन्य भागों में सरकार का संदेश गलत जाएगा। -विष्णुचंद्र पाठक, पूर्व अध्यक्ष, राजस्थान बृजभाषा अकादमी अकादमी के अध्यक्ष प्रो. सुरेंद्र उपाध्याय को मुख्यमंत्री का करीबी माना जाता है। यह समझ में नहीं आ रहा कि उन्होंने इस तरह की चूक कैसे की। मैं संपादक होता तो यह सामग्री प्रकाशित नहीं करता। -गोपाल प्रसाद मुद्गल, पूर्व अध्यक्ष, राजस्थान बृजभाषा अकादमी नेताओं को चरित्रहीन और भ्रष्ट भी लिखा: जिनके पास पंक्चर लगवाने के पैसे नहीं थे, वे करोड़ों में खेल रहे हैं अध्याय 2: पेज-17: आदर्श सोसायटी, कॉमनवेल्थ गेम अरु 2-जी स्पेक्ट्रम भ्रष्टाचार की क्लासिक गाथाएं हैं। जिनके ढिंग टेलीफोन के बिल भरिबे कौं पइसा नॉय हतौ, जो साइकिलन के पंचर जुरबाबे के काजैं मुहताज रहतौ हौ, बिनकी संतान के ब्याहन मौंहि एक-एक करोड़ कौ न्यौते की पाती छपैं हैं। सत्ता के उन्माद में जे पागल है गए हैं। संसद सत्र खत्म होते ही बढ़ जाती हैं डकैतियां > डॉ. राम मनोहर लोहिया नैं एक बार जि टिप्पणी करी ही कै जब संसद कौ सत्र चालू होय तब चंबल की डकैतीन में कमी आ जाबै है, परि जब संसद कौ सत्र समाप्त है जाय तौ चंबल की डकैती अचानक कैऊ गुनी बढ़ि जॉय। जि टिप्पणी हमारे राजनेता अरु जनप्रतिनिधीन की चरित्रहीनता कौ गहरौ चित्रन है। पूरे देश में भ्रष्टाचार की आग फैली है अध्याय 2: पेज-17: आज राष्ट्र मॉहिं भ्रष्टाचार जंगल की आग की भांति, कुकुरमुत्तान की तरियां व्याप है गयौ है। जानैं अपनी उपस्थिति राष्ट्र के ताने-बाने में दर्ज करा दई है। निर्लज्जता संग शिष्टतान की सीमान नैं पार कर गई है। अध्याय 2 : पेज-13: सर्वोच्च न्यायालय और हमारौ चुनाव आयोग गरौ फार-फार कैं चिल्ला रहे हैं कै चुनाव ते दागीन-हिंसक, हत्यारे, अपहरनकर्ता अरु बलात्कारीन कौं दूर करौ। परि हमारे कानन पै जूं तक नॉय रेंग रही। संसद अरु विधान सभा ऐसे दागीन सौं भरी परीं हैं। मैं डरने वाला नहीं, जो महसूस किया लिखा 'मुझे यह कहने से कोई गुरेज नहीं कि आज राजनेता माफिया हो गए हैं। मैं डरने वाला नहीं, जो महसूस किया वैसा ही लिखा है।' —हीरालाल शर्मा, लेखक, राष्ट्रीय संदर्भन मॉहि ब्रजभाषा कौ योगदान 'लेखक स्वयं अकादमी के अध्यक्ष रह चुके हैं। ऐसे में उनके आलेख में किसी प्रकार का संशोधन करना ठीक नहीं। उनके अपने विचार हो सकते हैं। वैसे यह अंक मेरे आने से पहले ही तैयार हो गया था।' —प्रो. सुरेंद्र उपाध्याय, संपादक, अध्यक्ष-राजस्थान ब्रजभाषा अकादमी

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