प्रधान मुख्य वन संरक्षक यू.एम.सहाय ने बताया, सरकारी छुट्टियों के दिनों में सोलर पैनल्स से बनने वाली बिजली के भी भविष्य में इस्तेमाल की योजना बनाई जा रही है। ताकि लगभग 200 सरकारी कामकाज के दिनों में 165 छुट्टियों के दिनों में पैदा की गई उस बिजली का इस्तेमाल किया जा सके। छत पर लगे सोलर पैनल एनर्जी कंजर्वेशन के काम आएंगे। जिनका बिजली के उत्पादन में इस्तेमाल किया जा सकेगा। प्रोजेक्ट की प्रजेंटेशन वन मंत्री को भी दी जा चुकी है। इसके लिए झालाना के पास जगह तय हो गई है। बिल्डिंग इंटीग्रेटेड फोटो वोल्टेज टैक्नोलॉजी पर आधारित होगी। इसमें अलग-अलग पैनल्स होंगे, जो बिजली उत्पादन करेंगे।
सोलर पाथ करेगी फॉलो
ऑप्टिकल फाइबर लाइट ट्रांसमिशन टैक्नोलॉजी को इस्तेमाल करने के लिए एक ऐसी मशीन बनाई गई है, जो सोलर पाथ को फॉलो करेगी। यानी सूर्य की दिशा जिस तरफ होगी, मशीन उसी तरफ अपने आप घूम जाएगी। इसे रिसेप्टर कहा गया है, जो सूरज की रोशनी को लेकर फाइबर केबल के जरिए लाइट को कमरों में देगा। यह सूरज की रोशनी को बाहर से परावर्तित कर अंदर ले आएगा और गर्मी को बाहर छोड़ देगा।
'बिल्डिंग दो साल में बनकर तैयार हो जाएगी। यह पूरी तरह नैट जीरो कॉन्सेप्ट पर आधारित होगी। जिसे किसी बाहरी बिजली कनेक्शन की जरूरत नहीं होगी। योजना यह भी है कि बिजली का अतिरिक्त उत्पादन होने पर दूसरी बिल्डिंग्स को भी सप्लाई किया जाएगा।'
यू.एम. सहाय, प्रधान मुख्य वन संरक्षक, हैड फॉरेस्ट फोर्स, राजस्थान
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