कोटा. सीएडी अधिकारियों व कर्मचारियों की सजगता, तत्परता और मेहनत से बरगद को नवजीवन मिला और वो ऐसे मुस्कुराए कि हरियाली से लदकद हो गए। हुआ यूं कि सीएडी कार्यालय परिसर में स्थित बरगद का पेड़ पिछले वर्ष 10 जून को आई तेज आंधी में गिर गया था। सालों पुराने इस पेड़ से सीएडी के अधिकारियों व कर्मचारियों का भी किसी न किसी तरह से जुड़ाव-लगाव था। एक पेड़ को यू दम तोड़ना उनसे देखा नहीं गया।
उन्होंने इस पेड़ को वापस जीवित करने का बीड़ा उठाया। इरादे नेक हो तो ईश्वर भी साथ देता है, यही बात उनके साथ भी हुई। पेड़ को क्रेन की सहायता से वापस खड़ा किया गया। बल्लियों का स्ट्रक्चर बनाकर उसे सपोर्ट दिया गया। एक बीमार परिजन की तरह उन्होंने उसकी सेवा की। मेहनत रंग लाई और बरगद धीरे-धीरे स्वस्थ होने लगा और जमीन से अलग हो चुके उसके अंग (जड़े) पुन: जुड़ने लगे। सूख चुकी उसकी टहनियां फिर से हरी-भरी होने लगी। नई-नई कोपलें फूटने लगी। आज लगभग एक साल बाद बरगद दादा अपने पुराने रंग में लौट आए और सीना ताने सीएडी परिसर में खड़े हैं।
उन्होंने इस पेड़ को वापस जीवित करने का बीड़ा उठाया। इरादे नेक हो तो ईश्वर भी साथ देता है, यही बात उनके साथ भी हुई। पेड़ को क्रेन की सहायता से वापस खड़ा किया गया। बल्लियों का स्ट्रक्चर बनाकर उसे सपोर्ट दिया गया। एक बीमार परिजन की तरह उन्होंने उसकी सेवा की। मेहनत रंग लाई और बरगद धीरे-धीरे स्वस्थ होने लगा और जमीन से अलग हो चुके उसके अंग (जड़े) पुन: जुड़ने लगे। सूख चुकी उसकी टहनियां फिर से हरी-भरी होने लगी। नई-नई कोपलें फूटने लगी। आज लगभग एक साल बाद बरगद दादा अपने पुराने रंग में लौट आए और सीना ताने सीएडी परिसर में खड़े हैं।
नजूमी हो गए हो अकेला जी। चार जून को दस जून की खबर लगा देते हो।
जवाब देंहटाएंवह 9 मई थी जब टोरनेडो आया था।