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27 जून 2012

इस मां ने किया वो काम कि हर दिल करेगा सलाम!

जयपुर.एयरपोर्ट पर टर्मिनल नंबर दो के पास टैक्सी स्टैंड पर सैकड़ों लोगों की आवाजाही। तीन साल की मासूम बालिका पता नहीं कब इस आवाजाही में माता-पिता से बिछुड़ गई। लोगों का ध्यान मासूम की ओर तब गया जब वह पेड़ के नीचे खड़े होकर जोर जोर से रो रही थी। भीड़ ने बालिका को दुलारा तो लेकिन पनाह नहीं दी।

पास ही चाय की थड़ी लगाने वाली जुगलंती को इस बारे में पता चला तो उसकी ममता जागी। स्टोव पर चाय बनती छोड़ वह दौड़कर पहुंची और मासूम को गोद में लेकर थड़ी पर लौट आई। मासूम की आंखों से बह रहे आंसू अपने पल्लू से पोंछे। चार घंटे में बालिका इस तरह से घुल मिल गई, मानो जुगलंती ही उसकी मां हो। जुगलंती कहती है मेरे 5 बेटियां और 2 बेटे हैं। चाय की थड़ी से जब सात बच्चों का पालन पोषण कर सकती हूं तो इस मासूम को भी दो वक्त की रोटी खिला सकती हूं।

दूसरे का इलाका आया तो लौटा सिपाही

सिस्टम की उदासीनता तो देखिए। लोगों ने इस आशा में सांगानेर थाने में फोन किया कि बालिका के परिजनों ने हो सकता है पुलिस को सूचना दी हो। एएसआई महावीर सिंह ने फोन उठाया और गजानंद सिपाही को भेज दिया। गजानंद वहीं तक गया, जहां तक सांगानेर थाने का इलाका था। ज्यों ही दूसरे थाने का इलाका शुरू हुआ गजानंद लौट गया। करीब एक घंटे बाद थाने को सूचना दी कि इलाका जवाहर सर्किल का है। लोग पुलिस के आने के इंतजार करते रहे। रात 10 बजे पुलिस टर्मिनल 2 पर पहुंची। बालिका का नाम- पता लिखा और जुगलंती को यह कहकर चली गई कि बालिका को अपने पास रखना। सुबह परिजनों को तलाशेंगे।

खुद का नाम भी नहीं बता पा रही मासूम

जुगलंती कहती है यह मासूम भी किसी की बेटी है। जब तक इसके मां-बाप का पता नहीं चल जाता मैं इसे अपने पास रखूंगी। जुगलंती शाम को बालिका को लेकर आसपास पता करने गई भी लेकिन कुछ पता नहीं चला। बालिका खुद का नाम नहीं बता पा रही है। कभी वह खुद का नाम सीमा तो कभी सिमरन, मां का नाम कमली और पिता का नाम दुर्गा बताती है।

उसे सिर्फ इतना पता है कि घर के आगे बस खड़ी रहती है और एक बंदर की फोटो लगी हुई है। बार-बार वह केकड़ी का नाम और मौसी द्वारा पिटाई करने की बात कह रही है। कहती है उसे एक मेडम पढ़ाती है। वह दूसरी कक्षा में पढ़ती है। ज्यादा पूछताछ करने पर वह मम्मी-मम्मी कहती हुई रोने लग जाती है।

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