नई दिल्ली. राष्ट्रपति पद के लिए होने जा रहे चुनाव की रेस दिलचस्प हो गई है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रणब मुखर्जी को राष्ट्रपति पद के लिए अपनी पहली पसंद बताया है जबकि हामिद अंसारी उनकी दूसरी पसंद हैं। लेकिन यूपीए की अहम सहयोगी तृणमूल कांग्रेस और सपा ने सोनिया की पसंद को सिरे से खारिज कर दिया है। तृणमूल सुप्रीमो और पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने कहा है कि उन्हें प्रणब का नाम मंजूर नहीं
सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने ममता के साथ बुधवार शाम साझा प्रेस कांफ्रेंस की और राष्ट्रपति पद के लिए अपनी तरफ से तीन नए नाम देश के सामने रखकर सभी को चौंका दिया। ममता-मुलायम ने राष्ट्रपति पद के लिए ए पी जे अब्दुल कलाम, मनमोहन सिंह और सोमनाथ चटर्जी का नाम सुझाया है। दिलचस्प है कि एक दौर ऐसा भी रहा है जब ये तीनों शख्सीयतें देश की राजनीति में बड़े-बड़े पदों पर रही हैं। डॉ. कलाम देश के राष्ट्रपति, मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री और सोमनाथ दा लोकसभा के स्पीकर रहे हैं।
मनमोहन सिंह
प्रधानमंत्री के तौर पर लगातार अपनी दूसरी पारी खेल रहे मनमोहन सिंह की छवि एक साफ सुथरी छवि के नेता के तौर पर रही है। अपने राजनीतिक जीवन में डॉ. सिंह 1991 से राज्य सभा के सदस्य रहे हैं, जहां वह 1998 और 2004 के दौरान विपक्ष के नेता थे। 1971 में वाणिज्य मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार के रूप में भारत सरकार में शामिल हुए मनमोहन सिंह को 1972 में वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया। मनमोहन सिंह वित्त मंत्रालय में सचिव, योजना आयोग में उपाध्यक्ष, रिजर्व बैंक के गवर्नर, प्रधानमंत्री के सलाहकार और यूजीसी के चेयरमैन के पद पर भी काम कर चुके हैं।
कैम्ब्रिज और ऑक्सफोर्ड जैसे संस्थानों से पढ़ाई करने वाले मनमोहन सिंह ने पंजाब विश्वविद्यालय और दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनोमिक्स में अध्यापन का कार्य भी किया। 1991 से 1996 तक देश के वित्त मंत्री के रूप में कार्य करते हुए उन्होंने आर्थिक सुधारों की एक व्यापक नीति से परिचय कराया। डॉ. सिंह ने कई अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों और अनेक अंतरराष्ट्रीय संगठनों में भारत का प्रतिनिधित्व किया है।
हालंकि पीएमओ के सूत्रों के हवाले से मीडिया में आई खबर में कहा गया है कि सिंह, राष्ट्रपति पद की दौड़ में शामिल नहीं हैं।
प्रणब मुखर्जी
वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी इंदिरा गांधी की सरकार में 1982 से लेकर 1984 तक वित्तमंत्री का कार्यभार संभाल चुके हैं। यूपीए-1 में विदेश मंत्री रहे मुखर्जी ने जनवरी 2009 में वित्तमंत्री का प्रभार संभाला था। मुखर्जी को 1984 में दुनिया के शीर्ष पांच वित्तमंत्रियों की सूची में स्थान दिया गया था। पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में एक छोटे से गांव से ताल्लुक रखने वाले मुखर्जी राजनीति और सत्ता के गलियारों के पुराने मुसाफिर रहे हैं। 1969 से अधिकतर समय राज्यसभा में बिताने वाले मुखर्जी पहली बार 2004 और 2009 में मुर्शीदाबाद जिले की जांगीपुर सीट से लोकसभा के लिए चुने गए।
बतौर विदेश मंत्री मुखर्जी ने अमेरिका के साथ असैनिक परमाणु करार संपन्न कराने और उसके साथ संबंधों को सुधारने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। इसके बाद मुंबई पर आतंकवादी हमलों के बाद विश्व जनमत को पाकिस्तान के खिलाफ सक्रिय करने में भी उन्होंने गजब के रणनीतिक कौशल का परिचय दिया। मुखर्जी ने बतौर अध्यापक और पत्रकार अपने करियर की शुरुआत की थी तथा वे देशेर डाक जैसे प्रकाशनों से भी जुड़े रहे। उन्होंने कई किताबें लिखीं।
हामिद अंसारी
मौजूदा उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने अपने करियर की शुरुआत भारतीय विदेश सेवा के एक अधिकारी के रूप में 1961 में की थी जब उन्हें संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत का स्थायी प्रतिनिधि नियुक्त किया गया था। वे आस्ट्रेलिया में भारत के उच्चायुक्त भी रहे। बाद में उन्होंने अफगानिस्तान, संयुक्त अरब अमीरात, तथा ईरान में भारत के राजदूत के तौर पर भी काम किय। 1984 में उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। उन्हें गुजरत दंगों के पीड़ितों को मुआवजा दिलाने और सद्भावना के लिए उनकी भूमिका के लिए भी सराहा जाता है।
अंसारी भारतीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष भी रहे हैं। कोलकाता में 1 अप्रैल 1937 को जन्मे अंसारी उनके माता-पिता यूपी के गाजीपुर से हैं। उनकी शिक्षा-दीक्षा सेंट एडवर्डस हाई-स्कूल शिमला, सेंट जेवियर्स महाविद्यालय कोलकाता और अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय में हुई। अंसारी मई 2000 से मार्च 2004 तक अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर भी रहे।
सोमनाथ चटर्जी
एक वकील के रूप में अपने कैरियर की शुरूआत करने वाले सोमनाथ चटर्जी 1968 में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के सदस्य बनने के बाद सक्रिय राजनीति में शामिल हुए। राष्ट्रीय राजनीति में उनका अभ्युदय पहली बार 1971 में लोक सभा के लिए निर्वाचित होने के साथ हुआ। तब से लेकर उन्होंने सभी लोक सभाओं में एक सदस्य के रूप में निर्वाचित होकर सेवा की। वर्ष 1989 से 2004 तक वे लोक सभा में सीपीआई(एम) के नेता रहे। यूपीए-1 में लोकसभा स्पीकर की भूमिका निभाने वाले सोमनाथ चटर्जी ने 4 जून, 2004 को लोकसभाअध्यक्ष का कार्यभार संभाला था।
शिक्षा, खेलकूद और संसदीय अध्ययन में दिलचस्पी रखने वाले चटर्जी 1971 में पहली बार लोक सभा के लिए चुने गए। उनकी छवि आम जनता से जुड़े राजनेता के तौर पर रही है। वह एक दशक से भी ज्यादा समय तक पश्चिम बंगाल औद्योगिक विकास निगम के अध्यक्ष रहे और पश्चिम बंगाल में निवेश को बढावा देने के लिए उन्होंने कई देशों का दौरा किया। सितम्बर 2006 में चटर्जी को अबुजा में राष्ट्रमंडल संसदीय संघ का अध्यक्ष चुना गया। 25 जुलाई, 1929 को असम के तेजपुर में जन्मे चटर्जी की शिक्षा-दीक्षा कलकत्ता और यूके में हुई। उन्होंने स्नातकोत्तर (कैंटब) तथा यूके में मिडिल टैंपल से बैरिस्टर-एट-लॉ किया।
ए पी जे अब्दुल कलाम
देश के 11 वें राष्ट्रपति ए पी जे अब्दुल कलाम को 'मिसाइलमैन' के तौर पर जाना जाता है। तमिलनाडू के धनुषकोडी गांव के एक मध्यमवर्ग मुस्लिम परिवार में जन्मे कलाम ने 1958 में मद्रास इंस्टीट्यूट आफ टेकनालजी से अंतरिक्ष विज्ञान में स्नातक की उपाधि हासिल की। डीआरडीओ में बतौर वैज्ञानिक अपना कॅरियर शुरू करने वाले कलाम को अग्नि और पृथ्वी मिसाइलों के सफल परीक्षण का श्रेय दिया जाता है। जुलाई 1992 में उन्हें रक्षा मंत्रालय में वैज्ञानिक सलाहकार नियुक्त किया गया। उनकी देखरेख में ही भारत ने 1998 में पोखरण में अपना दूसरा सफल परमाणु परीक्षण किया और परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्रों की सूची में शामिल हुआ।
डॉ. कलाम को 1997 में देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया। 25 जुलाई, 2002 को उन्होंने राष्ट्रपति का पदभार ग्र्हण किया। अपने व्यक्तिगत जीवन में पूरी तरह अनुशासन, शाकाहार और ब्रह्मचर्य का पालन करने वाले डॉ. कलाम के बारे में कहा जाता है कि वे क़ुरान और भगवद् गीता दोनों का अध्ययन करते हैं। तकनीक को जनसाधारण तक पहुंचाने की वकालत करने वाले कलाम बच्चों और युवाओं के बीच कलाम लोकप्रिय हैं। भारत को महाशक्ति बनने की दिशा में कदम बढाते देखना उनकी दिली चाहत है।
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