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30 जून 2012

'72 बेटों के बलिदान के बाद भी नहीं मिला हक, 5 को होगी महापंचायत'

जयपुर.गुर्जर आरक्षण के मुद्दे पर कर्नल किरोड़ी सिंह बैसला के नेतृत्व को चुनौती देते हुए एक धड़े ने 5 जुलाई को सिकंदरा के पास कैलाई भोजपुरा में महापंचायत बुलाई है। गुर्जर नेता अत्तर सिंह भडाना ने शनिवार को यहां मीडिया से कहा कि महापंचायत में समाज के सभी लोगों को आमंत्रित किया गया है।

गुर्जर समाज की आरक्षण की लड़ाई में नेतृत्व के स्तर पर कमियां रही जिसकी वजह से समाज के 72 बेटों के बलिदान के बावजूद आज तक उसका हक नहीं मिल पाया। गुर्जर आरक्षण की मांग को लेकर इतने आंदोलन हुए लेकिन नेतृत्व के स्तर पर कुछ कमियां रही जिनकी वजह से समाज आज भी वहीं है जिस मांग को लेकर वह चला था।

उन्होंने कहा कि गुर्जर समाज ने आरक्षण आंदोलन को लेकर पिछले पांच साल में क्या खोया और क्या पाया, इस पर महापंचायत में विचार होगा और आगे की रणनीति तय होगी। गुर्जर महापंचायत में जो भी फैसला लिया जाएगा वह सामूहिक नेतृत्व का फैसला होगा, किसी एक व्यक्ति की नहीं चलेगी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने गुर्जरों और अन्य चार जातियों को 1 प्रतिशत आरक्षण एसबीसी में दिया है।

राज्य सरकार से मांग है कि वह ओबीसी में से इन जातियों की जनसंख्या के आधार पर वर्गीकरण कर जितना प्रतिशत आरक्षण जनसंख्या के आधार पर आता है वह दिया जाए। गुर्जरों पर आरक्षण आंदोलन के दौरान लंबित मुकदमों को अविलंब वापस लिया जाए। गुर्जर समाज को पिछली भर्तियों में ओबीसी आरक्षण का लाभ नहीं दिया गया है, सरकार को चाहिए कि वह इन विसंगतियों को दूर करे।

भाजपा नेकोई वादा नहीं किया था : नाथूसिंह

पूर्व मंत्री नाथू सिंह गुर्जर ने एक सवाल के जवाब में कहा भाजपा ने गुर्जरों को आरक्षण देने का कोई वादा नहीं किया था। परिवर्तन यात्रा के दौरान पिछली बार लोगों ने मांग उठाई थी तब हमने कहा था कि सरकार बनने पर देखा जाएगा कि इस मामले में क्या किया जा सकता है। गुर्जरों को एसटी में आरक्षण देने की हमारी की मांग जारी है, यह केंद्र का विषय है।

चुनाव तक टालना चाहती है सरकार

नाथू सिंह ने कहा कि गुर्जरों को एसबीसी में 5प्रतिशत आरक्षण देने में सरकार की मंशा साफ नहीं है। हाईकोर्ट ने सरकार को चार माह में सर्वे करवाकर क्वांटिफाइड डाटा भेजने के आदेश दिए थे। हम सरकार के खिलाफ हाईकोर्ट जाएंगे।

हाईकोर्ट ने सरकार को चार माह का समय दिया था, सरकार ने ओबीसी आयोग ही अभी बनाया है। इसका मतलब है कि सरकार की मंशा साफ नहीं है और वह गुर्जर आरक्षण के मामले को चुनाव तक लटकाना चाहती है। यह तय है कि सरकार आरक्षण नहीं देगी, अगले चुनाव तक ।

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