जीवन में किसी भी लक्ष्य को भेदना शक्ति के बिना संभव नहीं है। यह शक्ति अनेक रूपों में प्रकट होती है। सांसारिक जीवन में भी इंसान अनेक लक्ष्यों को पाने के लिए शक्ति का संचय किसी न किसी रूप में करता है और अलग-अलग तरह की गुण और शक्तियों के द्वारा सफलता की ऊंचाईयों को छूता भी है।
शक्ति साधना के इन उपायों में साक्षात शक्ति स्वरूप श्री हनुमान का स्मरण भी अचूक माना जाता है। श्री हनुमान शक्ति व पुरुषार्थ के साक्षात स्वरूप हैं। जहां एक ओर समुद्र को लांघना, माता सीता की खोज, लंका दहन, रावण व मेघनाथ जैसे महावीरों से टकराना उनके अद्भुत युद्ध कौशल, जुझारुपन और शूरता को उजागर करता है, तो वहीं दूसरी ओर राम भक्ति व सेवा से भरा व्यक्तित्व व चरित्र ही उन्हें रामायण रूपी महामाला का रत्न बनाता है।
श्री हनुमान चरित्र व नाम स्मरण बच्चों से लेकर बुजुर्गों को भी ऊर्जावान व जाग्रत कर देता है। खासतौर पर आज के दौर में ऊर्जा व जोश से भरे सफलता के इच्छुक युवा अपनी शक्तियों को किस तरह सकारात्मक दिशा में मोड़ शक्ति संपन्न बने? इस संबंध में श्री हनुमान का चरित्र खासतौर पर चार सूत्रों को उजागर करता है।
हनुमान चरित्र पर गौर करें तो चार तरह की शक्ति यानी बल हर इंसान, खासतौर पर युवाओं के लिए सुखी, शांत और कामयाब जीवन के लिए बहुत जरूरी है, जिनको पाना, बढ़ाना या बनाए रखना हर इंसान का लक्ष्य होना ही चाहिए -
देह बल - निरोगी, ऊर्जावान और तेजस्वी शरीर सफल जीवन की पहली जरूरत है। यह खान-पान व रहन-सहन में संयम और अनुशासन के द्वारा ही संभव है। श्री हनुमान की व्रज के समान मजबूत, तेजस्वी देह, ब्रह्मचर्य व्रत का पालन, पावनता, इंद्रिय संयम व पुरुषार्थ, तन को हष्ट-पुष्ट और स्वस्थ रखने की अहमियत बताता है।
बुद्धि बल - बुद्धि बल व कौशल सफल, सुखी और शांत जीवन के लिए सबसे बड़ी ताकत बन जाता है। बुद्धि के अभाव में शरीर से बलवान और धनवान भी दुर्बल हो जाता है। संदेश है कि ज्ञानवान व दक्ष बनें। श्री हनुमान भी ज्ञानियों में अग्रणी पुकारे गए हैं। शास्त्र भी हनुमान के बुद्धि चातुर्य से बाधाओं को दूर करने के अनेक प्रसंग उजागर करते हैं।
देव बल - ईश्वर का स्मरण एक ऐसी शक्ति है, जो ऊर्जा, एकाग्रता और आत्मविश्वास को बढ़ाने वाली होती है। शास्त्रों में भगवान के मात्र नाम का ध्यान भी देवकृपा करने वाला माना गया है। श्री हनुमान की श्रीराम भक्ति, नाम स्मरण और सेवा इसका श्रेष्ठ उदाहरण है। इसमें सूत्र यही है कि जागते और सोते वक्त देव स्मरण व उपासना से ऊर्जावान व शक्ति संपन्न बने रहें।
धन बल - शास्त्र पुरुषार्थ के रूप में सुखी जीवन के लिए अर्थ या धन की अहमियत बताते हैं। जहां धन का अभाव व्यक्ति को तन, मन और विचारों से कमजोर बनाता है, वहीं सेवा, कर्म और समर्पण से धन संपन्नता व्यक्ति के आत्मविश्वास और सोच को मजबूत बनाती है। श्री हनुमान चरित्र में माता सीता के आशीर्वाद से अष्ट सिद्धियों व 9 निधियों को पाना, इसी बात की ओर ही संकेत है।
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
13 जून 2012
श्री हनुमान से सीखें ताकतवर बनने के ये 4 बेहतरीन तरीके
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