जयपुर.एक ओर आईएएस में एक बार भी सलेक्ट होना नई पीढ़ी को लोहे के चने चबाने जैसा लगता है। लेकिन जैसलमेर में डीएफओ हरिकेश मीणा के साथ इसका उल्टा है। वे तीसरी बार आईएएस में सलेक्ट हुए हैं।
इस बार इंटरव्यू बोर्ड में इंटरव्यू करने वालों ने मीणा को जिस अंदाज में फटकार लगाई थी, उससे वे चयन की आशा छोड़ चुके थे। लेकिन शुक्रवार शाम जैसे ही परिणाम आया तो 384वां रैंक पाकर वह खुश है।
हरिकेश ने भावुक मन से कहा कि पहली बार 2006 में चयनित होने पर उसे आईएएस की एलाइड सर्विस आईएफएस में नौकरी का मौका मिला। इस बार जजों ने इंटरव्यू में उसका बैकग्राउंड जाना तो वे गुस्सा गए। वे कहने लगे कि तुम हर बार सलेक्ट होते हो और फिर परीक्षा में बैठ जाते हो। इससे पूर्व में चयनित पदों की सीटें खराब होती है। देश में आईएएस और एलाइड सर्विसेज की सीटें कितनी कीमती होती है, इसका अंदाज होना चाहिए।
हरिकेश ने बताया कि वह चार बार आईएएस परीक्षा दे चुके हैं। पहले प्रयास में ही उन्होंने राजस्थान एसटी वर्ग में पहली और सभी वर्ग में 61वीं रैंक हासिल की थी।
हरिकेश ने डॉक्टर पत्नी का सपना साकार किया
आईएएस और अलाइड सर्विसेज में तीसरी बार चयनित हुए डीएफओ हरिकेश मीणा ने भास्कर के साथ बांटे अनुभव
आईएएस में 384वीं रैंक प्राप्त डीएफओ हरिकेश मीणा का कहना है कि उनकी पत्नी डॉ. प्रतिभा को आंत का कैंसर हो गया था। वे 11 माह तक मौत से जूझती रहीं। मैंने रात-दिन उन्हें बचाने के लिए एक कर दिए, लेकिन बच नहीं सकीं। फरवरी 2011 में उनकी मौत हो गई। उनका सपना था कि मैं आईएएस बनूं।
उनके जाते ही मेरा संसार सूना हो गया। उनके इलाज में जी-जान लगा देने के कारण 2010 में मैं आईएएस की परीक्षा भी नहीं दे पाया। जब वे ही नहीं रहीं तो मैंने उनका सपना पूरा करने का ठान लिया। मार्च 2011 में ही आईएएस का फॉर्म भर दिया। मात्र 20 दिन की तैयारी से परीक्षा दी। सलेक्शन हुआ और 384वीं रैंक मिली। यह सफलता मैं पत्नी प्रतिभा को समर्पित करता हूं।
सवाई माधोपुर जिले के बौंली तहसील के हनुत्या गांव निवासी हरिकेश वर्तमान में पोकरण में डीएफओ हैं। पिता शंभुदयाल मीणा किसान और मां सांवली देवी गृहिणी हैं। आईआईटी कानपुर से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग कर चुके हरिकेश का 2008 में आईएफएस में चयन हुआ था। ऑल इंडिया में 61वीं रैंक बनी थी। 2009 में ऑल इंडिया डिफेंस एकाउंट्स सर्विसेज में 857वीं रैंक बनी पर जॉइन नहीं किया। आईएएस में उनका चौथा अटेंप्ट था
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
06 मई 2012
IAS इंटरव्यू में फटकार- 'तुम हर बार सलेक्ट होते हो, सीटें खराब करते हो'
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