वॉशिंगटन.दुनिया भर को 'धार्मिक सहिष्णुता' और 'आज़ादी' की नसीहत देने वाले अमेरिका के सैनिकों को इस्लाम के खिलाफ जंग के लिए तैयार किए जाने का मामला सामने आया है। अमेरिकी सैन्य अधिकारियों के लिए तैयार कोर्स में यह पढ़ाया जा रहा था कि अमेरिका मुस्लिमों के खिलाफ जंग लड़ रहा है। विवादास्पद पाठ्यक्रम के मुताबिक द्वितीय विश्व युद्ध में हिरोशिमा की तर्ज पर अमेरिका को अंत में जाकर मक्का और मदीना जैसे पवित्र इस्लामिक शहरों के वजूद को मिटाना पड़ सकता है।
दूसरे विश्व युद्ध में हिरोशिमा और नागासकी पर अमेरिका ने परमाणु हमले कर इन्हें तबाह कर दिया था। पाकिस्तान अखबार डॉन में छपी खबर में कहा गया है कि यह पाठ्यक्रम अमेरिकी अधिकारियों के उस रुख से बिल्कुल उलट है, जिसमें बीते एक दशक से वे कहते रहे हैं कि अमेरिका की लड़ाई उन आतंकवादियों के खिलाफ है जो इस्लाम के संदेशों के उलट काम कर रहे हैं और यह लड़ाई इस्लाम धर्म के खिलाफ नहीं है।
हालांकि, अमेरिकी रक्षा विभाग ने ज़्वॉइंट स्टाफ कॉलेज में पढ़ाए जा रहे इस भड़काऊ पाठ्यक्रम पर पिछले महीने ही रोक लगा दी थी। लेकिन इस पाठ्यक्रम में क्या पढ़ाया जा रहा था, इसका खुलासा अब हुआ है। अमेरिका के ज़्वॉइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ के अध्यक्ष जनरल मार्टिन डेंप्से ने पाठ्यक्रम को आपत्तिजनक, गैरजिम्मेदाराना और धार्मिक आज़ादी के अमेरिकी मूल्यों के खिलाफ करार दिया है।
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
11 मई 2012
हिरोशिमा की तरह मक्का-मदीना को बर्बाद करेगा अमेरिका?
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