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23 मई 2012

राजस्थान में मुसमानों को मनाने की कोंग्रेस की हर कोशिश उलटी पढ़ रही है क्योंकि मुसलमान कोंग्रेस की नियत खराब मानता है

दोस्तों सभी जानते है के राजस्थान का मुसलमान कोंग्रेस सरकार की उपेक्षा के चलते कोंग्रेस सरकार और उसके नेताओं से सख्त नाराज़ है ..गोपालगढ़ भरतपुर की घटना ने तो जेसे इस मामले में आग में घी डालने का काम क्या है .कोई माने या ना माने लेकिन उत्तर प्रदेश चुनाव में कोंग्रेस की कई सीटों पर राजस्थान के मुसलमानों की इस नाराज़गी का असर पढ़ा है ..राजस्थान के मंत्रिमंडल में मंत्री झुनझुने लेकर बेठे है ...राजस्थान में मदरसों में पेराटीचर्स का वेतन दुसरे पेराटीचर्स के समान नहीं है ..वक्फ सम्पत्तियां सुरक्षित नहीं है ..मुस्लिमों को रोज़गार नहीं है ..पन्द्रह सूत्रीय कल्याणकारी कार्यक्रम धीमा पढ़ा है ...सरकार में मुस्लिमों की भागीदारी नहीं है ....हज कमेटी में अव्यवस्था है ..हज कमेटी के चेयरमेन की नियुक्ति नहीं है ....उर्दू के टीचर्स के पद रिक्त पढ़े है ..स्कूलों से उर्दू सरकारी उपेक्षित निति के कारण लुप्त होती जा रही है .....हालात यह है के संथान में मुस्लिमों की भागीदारी नहीं तो सत्ता से मुस्लिम से दूर है और सरकार की योनायें मुसलमानों तक नहीं पहुंचाई जा रही है केवल कागज़ी और अखबारी घोषणाएं मुसलमानों के लियें की जाकर उन्हें लुभाने का प्रयास किया गया है ..अल्पसंख्यक विभाग राजस्थान के हर कोने में लूला लंगडा बनाया है न स्टाफ है ना कार्यालय है बस परेशानी ही परेशानी है कुल मिलकर राजस्थान के मुसलमानों को यूज़ एंड थ्रो का दर्जा दिया गया है ..यहाँ के मुसलमानों का मानना है के मुसलमानों के साथ सियासत की जा रही हा और गिन गिन कर बदला लिया जा रहा है ...खेर इस मामले में आवाज़ हाईकमान तक पहुंची मुख्यमंत्री को हटाने की मांग उठी कोंग्रेस के युवराज राहुल जी उठे और उन्होंने राजस्थान के मुख्यमंत्री और कुछ मंत्रियों को बदलने का मन बना डाला लेकिन लोग सोचते है के कोंग्रेस में राहुल गाँधी और सोनिया गाँधी मजबूत है तो गलत सोचते है क्योंकि राजस्थान के हर मुद्दे पर यहाँ के नेताओं ने हाईकमान को येदुरप्पा की तरह पटखनी दी है और हर बार हाईकमान बेकफुट पर नज़र आया है .......या यूँ कहिये के राजस्थान के नेता हाईकमान पर इतने भरी है के वोह राजस्थान के डेमेज कंट्रोल में पिछड़ गए है और सर्वत्र त्राहि त्राहि माम है .......हाईकमान ने असंतुष्टों से मीटिंगे की उन्हें समझाने की कोशिश की खुद ने राजस्थान नेत्रत्व के आगे हथियार डाल दिए और राजस्थान सरकार को मुस्लिम डेमेज कंट्रोल का ज़िम्मा सोंपा गया लेकिन यहाँ तो इस कंट्रोल के नाम पर जो कुछ हो रहा है उलटा ही हो रहा है संतोष के नाम पर असंतोष भड़क रहा है और मुसलमानों की राजस्थान में यह नाराजगी तूफ़ान के पहले के आने वाली खामोशी है ....राजस्थान में अव्वल तो मुस्लिम इदारों में उन लोगों को नियुक्त किया गया जिनका गेर सियासी मुकाम है ..जो मुसलमानों की समस्याओं की जमीनी हकीक़त से कोसों दूर है इनमे वोह लोग शामिल है जो या तो नोकर शाह है या फिर दूसरी पार्टियों में कोंग्रेस से आये है ..या फिर खुद मुख्यमंत्री के नजदीक है ..यहाँ राजस्थान में मुस्लिम डेमेज कंट्रोल के तहत हाल ही में एक बढ़ा कार्यक्रम मदरसा बोर्ड ने किया भवन के शिलान्यास के नाम पर लोगों को बुलाया गया ..लेकिन पासा उल्टा पढ़ गया एक शिक्षा सहयोगी अमीन खान ने जब समान वेतन की आवाज़ उठाई तो उसकी गिरफ्तारी और फिर कार्यक्रम में जाने वालों की सघन तलाशी आतंकवादियों से भी बुरा महमानों के साथ सुलूक ..इतना ही नहीं मुसल्मानों को भरोसा था के मदरसा समान वेतन को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कोई घोषणा करेंगे लेकिन निराशा ही हाथ लगी ..............फिर नियुक्तिया हुई हज कमेटी जिसकी जरूरत थी वहां चेयरमेन की नियुक्ति नहीं अल्पसंख्यक आयोग में एक मुस्लिम सदस्य की नामज़दगी काम कर दी गयी ..और कुछ मुस्लिमों को अगर नियुक्त किया गया तो केवल मुस्लिम इदारों में जो खाली पढ़े थे यह तो उनके अलावा कोई दूसरों के पद थे ही नहीं ..मुस्लिमों को किसी दुसरे इदारे में नियुक्त नहीं किया गया ..फिर सरकार ने उर्दू का कार्यक्रम रखा लोगों ने कहा के उर्दू एकेडमी बनाई नहीं सदस्य हैं नहीं और जो नियुक्ति की गयी है उर्दू के लेक्चरार यानी नोकरशाह को अतिरिक्त कार्यभार दिया गया है स्वतंत्र समाजसेवक को इस पद पर नियुक्तं नहीं किया गया है ..स्कूलों में उर्दू खोलें के लियें दस छात्रों पर उर्दू खोलने का जो परिपत्र है उस पर चर्चा नहीं की गयी है ...खेर कोई बात नहीं अब फिर नया पत्रा आया ...सोनिया गाँधी की तरफ से खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ख्वाजा के दरबार में चादर पेश करने पहुंचे ..लोगों ने कहा के जब सोनिया जी खुद मोजूद थीं तो वोह क्यूँ नहीं आई यह चादर के नाम पर सियासत क्यूँ और हाँ अगर चादर भी चढाई तो फिर अजमेर की ही बेटी नसीम अख्तर और दूसरों को इसमें शामिल होने से पुलिस ने केसे रोक दिया ...............कुल मिलाकर कोंग्रेस सरकार राजस्थान के मुसलमानों को लुभाने के लियें जो भी कार्यवाही कर रही है वोह उल्टा पढ़ रहा है क्योंकि अगर मुसलमानों के साथ सियासत होती है तो वोह अब पढ़ लिख चूका है इसे खूब समझता है आज मुसलमानों को सत्ता में संगठन में भागीदारी चाहिए वोह भी मदरसा बोर्ड ..वक्फ बोर्ड में नहीं यह इदारे तो उन्हीं के है दुसरे इदारे नगर निगम ..यु आई टी ...आवासन मंडल और दुसरे इदारे जहाँ उन्हें काबलियत के आधार पर लगाया जाए ..मुसलमान बेरोजगारों को रोज़गार दिया जाए लेकिन अफ़सोस होता है जब कोंग्रेस और कोंग्रेसी मुसलमान मुसलमानों के साथ सियासत करते है उन्हें सिर्फ इसलियें पास बुलाते है के वोह माहोल बनाये के मुसलमान कोंग्रेस से जुड़ते हुए नज़र आये ..हाईकमान तक झूंठी रिपोर्ट भेजें के मुसलमान कोंग्रेस के नजदीक है दूर नहीं लेकिन सही बात तो यह है के कोंग्रेस मुसलमानों को जख्म ही जख्म दे रही है और मुसलमान अभी या तो मजबूरी में या मोकापरस्ती में कोंग्रेस के साथ नज़र आता है ...मुसलमानों के इस दर्द को अगर कोंग्रेस पार्टी और हाईकमान ने नहीं समझा कोई डेमेज कंट्रोल नहीं किया तो फिर कोंग्रेस का भगवान ही मालिक है यह एक समाज के साथ नही लगभग सभी समाजों के साथ कोंग्रेस के यही हाल नज़र आ रहे है ..कोग्रेस हाईकमान के पास इस मामले में निजी तोर पर की गयी शिकायतें है ..सुझाव है उनका खुद का सर्वे है ..इंटेलिजेंस की रिपोर्ट है लेकिन लगता है के कोंग्रेस हाईकमान राजस्थान सरकार की करतूतों और नेत्रत्व के आगे बेबस और खामोश हो गया है और यहाँ के मुसलमानों को कोंग्रेस को भाग भरोसे छोड़ दिया गया है जो एक खतरनाक परिणाम साबित होगा क्योंकि वक्त रहते अगर नहीं सुधरे तो जनता इन्हें सुधार देगी इसलियें कहते है के अभी भी वक्त है सम्भाल जाओ डेमेज कंट्रोल योजना सियासत के हिसाब से नहीं लोगों के जख्मों और उनकी चोटों पर मलहम लगा कर किया जाए तो फिर से कोंग्रेस जिंदाबाद हो सकती है ...............अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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