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23 मई 2012

जनता पर दया न दिखाने वाली पुलिस, जी रही जनता की दया पर


कोटा।पुलिस को जनता बेरहमी के लिए याद रखती है। लेकिन यही जनता पुलिस को सुख-सुविधा मुहैया कराने में अपनी खुशी समझती है। थाने का फर्नीचर ठीक नहीं करने पर एक व्यक्ति को कांस्टेबल ने इतना प्रताड़ित किया कि उसने आत्महत्या कर ली।

बारां जिले के मोठपुर थाना क्षेत्र में धनराज द्वारा आत्महत्या करने के बाद अधिकारियों ने दोषी कांस्टेबल को लाइनहाजिर भी कर दिया, लेकिन पुलिस की यह व्यवस्था कोई नई नहीं है। कोटा में भी पुलिस थानों में मूलभूत सुविधाएं और स्टेशनरी तक जुटाने के लिए जनसहयोग के नाम पर कभी मनुहार से तो कभी पुलिसिया अंदाज से काम करवा रही है। कंट्रोल रूम के सभागार, नयापुरा थाने में सभागार भवन, पुलिस लाइन में कई विकास कार्य करवाने में पुलिस ने जनसहभागिता के नाम पर व्यवस्था जुटाई है।

एक तरफ पुलिस विभाग को हाईटेक बनाने की कोशिश की जा रही है और दूसरी और मूलभूत सुविधाओं के लिए भी बजट उपलब्ध नहीं करवाया जा रहा। राज्य सरकार शिक्षा, नगर निगम, यूआईटी सहित अन्य सरकारी विभागों की तरह पुलिस विभाग पर ज्यादा बजट खर्च नहीं करती। वेलफेयर के नाम पर कुछ बजट हर साल दिया जाता है, जिससे रोजमर्रा के खर्चे ही पूरे नहीं हो पाते।

नतीजतन पुलिस को स्टेशनरी, वाटर कूलर, फर्नीचर, भवन, पेट्रोल-डीजल आदि व्यवस्थाओं के लिए पब्लिक वेलफेयर फंड के मार्फत जनता का सहयोग लेना पड़ रहा है। इसके लिए कई बार पुलिस सीएल जी समितियों के सदस्यों की मदद लेती है तो कभी सीधे शहर के बड़े संस्थानों को जिम्मेदारी दे दी जाती है।

पुलिस द्वारा दी गई जिम्मेदारी को यदि कोई सहर्ष स्वीकार कर लेता है तो ठीक वरना पुलिस अपने अंदाज से बात मनवा लेती है। जिससे सहयोग मांगा जाता है, उसके सामने दोहरी समस्या रहती है पुलिस की बात माने तो मांग पूरी करनी पड़ती है और नहीं माने तो पुलिस का कोपभाजन सहन करने की नौबत आ सकती है और हालात मोठपुर के धनराज जैसे भी हो सकते हैं।

नयापुरा थाने में सभागार

पुलिस लाइन क्षेत्र में पुलिस चौकी खोले जाने की मांग लंबे समय से चल रही थी, लेकिन पुलिस के पास बजट नहीं था। ऐसे में पुलिस ने सीएल जी सदस्यों की मदद से भवन बनाने के लिए धन की व्यवस्था की। बजरंग नगर क्षेत्र के लोगों ने 3 लाख रुपए एकत्रित किए। बाद में यूआईटी ने 10.58 लाख रुपए खर्च कर भवन बना दिया। बाद में इन 3 लाख रुपए से नयापुरा थाने में एक सभागार तैयार करवाया गया।

कंट्रोल रूम में जनसहयोग

पुलिस कंट्रोल रूम में अधिकारियों के साथ मीटिंग करने के लिए कोई जगह नहीं थी। ऐसे में पिछले साल पास में पड़ी खाली जगह पर एक शानदार सभागार तैयार करवाया गया। जिसमें कुछ राशि पुलिस ने लगाई और कुछ ट्रांसपोर्टर्स, नगरीय परिवहन के वाहनों की एसोसिएशन आदि की जनसहभागिता से काम हुआ। यहीं पर पिछले साल जनसहयोग से वाटर कूलर भी लगाया गया था।

पुलिसकर्मियों के सहयोग से लाइब्रेरी

बजट के अभाव में वेलफेयर के लिए शहर में तैनात पुलिसकर्मियों के वेतन से भी मामूली राशि काटी जाती है। हाल ही में पुलिस लाइन में लाइब्रेरी बनाई गई है। जिसके लिए भी पुलिसकर्मियों के वेतन से राशि काटी गई है।
‘सरकार से बजट तो मिलता है, लेकिन जनसहयोग भी जरुरी है। जनसहयोग से कुछ काम होते हैं, सभी काम जनसहयोग से ही होते हैं ऐसा भी नहीं हैं। अगर बजट नहीं मिलता तो इतने बड़े-बड़े भवन नहीं बन पाते हैं।’
- अमृत कलश, आईजी कोटा रेंज

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