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07 मई 2012

देश की पार्टियाँ नहीं सुधरीं तो हालात अभी और बाद से बदतर होंगे ....चम्पी करने वाले सरकार चलाएंगे और समर्पित लोग ऐसे ही ठेला चलाएंगे

राजस्थान की दो बढ़ी राजनितिक पार्टियाँ इन दिनों सदमे है दोनों पार्टियों कोंग्रेस और भाजपा में घमासान है .....कोंग्रेस सत्ता में है तो भाजपा सत्ता में आने का सपना देख रही है लेकिन दोनों पार्टियों में स्वंभू नेताओं की पराकाष्ठा हो गयी है ...पार्टियों में अनुशासन खत्म है और हर नेता खुद को पार्टी से बढ़ा साबित करने में लगा है नतीजा पार्टियों का आन्तरिक लोकतंत्र तो खत्म है लेकिन सत्ता पक्ष की पार्टी कोंग्रेस और भाजपा विपक्ष में होने से यहाँ वर्तमान परिस्थियों में राजस्थान के विकास और कानून व्यवस्था पर गंभीर असर पढ़ा है ..कोंग्रेस में अभी हर जिला इकाई में विवाद है लोग खुल एक दुसरे के खिलाफ बयानबाज़ी कर रहे है ....मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ कर्नल सोनाराम और कुछ विधायक खुलेआम जोर देकर बयानबाजी कर रहे है कोटा कोंग्रेस में भी बुरा हाल है लेकिन भरतपुर शिविर में तो पराकाष्ठा ही हो गयी वहां कोंग्रेस कार्यालय में खुलकर लात घूंसे और कुर्सियां चलीं और वोह भी प्रदेश कोंग्रेस अध्यक्ष डोक्टर चन्द्रभान के सामने खुद प्रदेश अध्यक्ष ने खुद की इज्ज़त कुर्सियों के पीछे जाकर बचाई ..इतना ही नही मारपीट की कमान सम्भालने के आरोपी पूर्व संसद विश्वेन्द्र सिंह ने तो सीधा सीधा प्रदेश कोंग्रेस अध्यक्ष को हत्यारा करार दिया और हत्या के मामले में चार साल बंद होने का सुबूत देते हुए उन्हें पार्टी के नेत्रत्व से हटाने की मांग की ..खेर यह लड़ाई तो जाट जाट नेताओं की थी इसलियें कोंग्रेस मजे कर रही है और भुस में चिंगारी डाल जमाल दूर कड़ी की तर्ज़ पर तमाशा देख रही है ..ठीक इसी तरह भाजपा में तमाशा हुआ वहां राजस्थान भाजपा में वसुंधरा को कमजोर करने की कोशिशें होती रही हैं ..पहले संगठन के नेता बनाने के नाम पर फिर जिला इकाइयां गठित करने के नाम अपर हंगामा रहा लेकिन अभी हाल ही में भाजपा के नेता गुलाब कटारिया ने जब यात्रा के नाम पर हंगामा किया उनके समर्थकों ने आरती की राष्ट्रिय महासचिव का अपमान किया तो वोह अपने अपमान के आंसू रोक न सकीं ..बात आगे बढ़ी वसुंधरा जो राजस्थान की पूर्व मुख्यमत्री है उन्होंने किरण माहेश्वरी का समर्थन किया लेकिन गुलाबचंद कटारिया अपनी यात्रा को लेकर अड़े हुए थे पार्टी और संगठन में चर्चा हुई संगठन में वसुधरा अकेली पढ़ गयीं और गुलाब कटारिया की जीत हुई उन्हें यात्रा करने की इजाज़त मिल गयी बस फिर किया था वसुंधरा जी ने अपना रोद्र रूप दिखाया पार्टी संगठन को ठेंगा दिखाया और पार्टी से इस्तीफा दिया समर्थक पार्टी नेताओं और विधायकों से इस्तीफा ड्रामा करवा कर यह साबित करने की कोशिश की के पार्टी हम से है पार्टी से हम नहीं सभी विधायकों ने इस्तीफे दिए लेकिन खुद के बेटे सांसद दुष्यंत ने इस्तीफा नहीं दिया खेर हाई कमान ने पहले तो गंभीरता से लिया फिर जब ड्रामा समझ में आया तो राजस्थान की फ़ाइल पेंडिंग में डाल दी और अब हाईकमान वसुधरा के मज़े ले रहा है गुलाब कटारियां ने भी पलटवार किया और वसुंधरा की नाराजगी का हवाला देते हुए पार्टी हित में यात्रा स्थगित कर दी कटारिया जीते और फिर दुबारा खुद अपनी मर्ज़ी से यात्रा स्थगित कर जीते लेकिन जनता और विधायक राजस्थान की भावना तो वसुंधरा के साथ है हाईकमान इसे खूब समझता है इसलियें रोज़ रोज़ की लड़ाई से तंग हैक्मन अब इसका कोई स्थायी हाल निकलना चाहता है .....तो दोस्तों राजस्थान में पार्टियों खासकर कोंग्रेस और भाजपा के यह हाल है तो फिर तीसरे मोर्चे की कोशिशों में जुटे लोगो के चेहरे खिल उठे है वोह एक बहतरीन मोके की तलाश में हैं ........यह सब कोंग्रेस और भाजपा की बुराई संगठन में लोकतंत्र नहीं होना ..मर्यादित आचरण नहीं होना और सत्ता का अस्न्ग्थान पर हावी होना है ..दोनों पार्टियों के लोग खुद के अपने कार्यकर्ता बनाते है ..पार्टी कार्यालयों से अलगथलग रहकर यह पार्टी के शीर्ष नेता अपनी साख तो पार्टी के बेनर पर बनांते है और फिर वक्त आने पर पार्टी और उसके नेताओं को ठेंगा बताते है बस यही मोकापरास्ती यही फ्रस्ट्रेशन आज जो स्थिति है वोह बनाने में कामयाब हुआ है भाजपा कोंग्रेस में महासंग्राम है यह अभी राजस्थान स्तर पर है लेकिन अब यही संग्राम महाभारत में बदल जाएगा और यह गंदी हवा दिल्ली तक पहुंच जाएगा ऐसे में नेता भी चकरघिन्नी है तो जनता भी परेशां और कार्यकर्ता भी हेरान है इसलियें कहते है के पार्टियों में आंतरिक लोकतंत्र स्थापित किया जाए चुनाव आयोग सक्रिय हो निति नियमों का पार्टियों से पालन करवाए अपनी देख रेख में चुनाव करवाए और थोपने वाले नेताओं से पार्टियों और देश को बचाए सर्वमान्य लोगों के हाथों में अगर पार्टियों की कमान होगी तो असंतोष भी कम होगा और नेता भी मजबूत होगा छोटी छोटी बातों पर ब्लेकमेलिंग से बचेगा .........ऐसी मजबूत पार्टियाँ फिर सत्ता में रही तो पार्टियाँ ही सरकार चलाएंगी और नीतिया जो पार्टियों की बंटी है वोह जनता तक पहुँच सकेंगी वरना तो पार्टियाँ अब दरकिनार कोने में बेठी रहेंगी और जो कोई भी वरिष्ठ नेताओं की चम्पी करने वाला होगा वोह टिकिट भी लाएगा पावर भी लाएगा पद भी लायेगा और देश जनता समाज वोटर को कच्चा चबाएगा .......अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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