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07 मई 2012

संसद दिवस पर सांसद खुद का आचरण सूधारने में लियें कोड ऑफ़ कन्डक्ट बनवाएं और जनता की अदालत से उसे पारित करवाएं ,वरना ज़ुबानी इन्कलाब सड़क का इन्कलाब होगा

दोस्तों आप और देश के सभी लोग जानते है के जनता जिस संसद को चुन कर भेजती है आज वही जनता संसद को सरेआम गलियाँ दे रही है ..संसद के लोग सही काम नहीं कर रहे ..संसद में सही लोग नहीं है यह देश जानता है जनता जानती है खुद सांसद और उन्हें टिकिट देकर निर्वाचित करने वाली पार्टियाँ जानती है लेकिन संसद इस सच्चाई को स्वीकार नहीं कर रही है ताज्जुब इस बात का है के इस हकीक़त को अभी तक किसी भी सांसद ने सार्वजनिक रूप से स्वीकार नहीं किया है ..पदों पर बेठे लोगों की तो बात क्या करें लेकिन जो लोग पूर्व सांसद रह चुके है उनमे से भी किसी ने सच बोलने का साहस नहीं किया है .......दोस्तों संसद स्थापना दिवस है यहाँ संसद को स्थापित हुए काफी साल हो चुके है और संसद से जुड़े लोग जो सबसे पहले सांसद बने थे वोह भी अब संसद में आकर अपने अनुभव इस दिवस पर बांटेंगे ,,, देश ने जनता ने नेताओं को निर्वाचित बनाकर संसद बनाई और यही जनता द्वारा निर्वाचित लोग निर्वाचन होने पर जनता को भूल गए उन्होंने जनता को कीड़ा मकोड़ा समझना शुरू कर दिया जरा भी कोई बोले तो बस संसद का विशेषाधिकार है ..संसद के विशेषाधिकार की अगर सुप्रीम कोर्ट ने व्याख्या कर दी और कहा के चोर को चोर कहना अपराध नहीं है अगर सुप्रीम कोर्ट ने संसद से सवाल पूंछ लिया के कोनीमोझी और खेल घोटाले के सासद के साथ ऐ राजा किस हिसाब से इतने गम्भीर आरोपों में जेल जाने के बाद संसद में आ रहे है उन्हें निलंबित क्यूँ नहीं किया जाता है क्या संसद की कोई मर्यादा नहीं है वहां चोर उचक्कों का जमावड़ा है कोई आचार संहिता नहीं और अगर आचार संहिता है तो उसका खुला उलंग्घन है ..पहली बार सांसदों और नेताओं के काले कारनामों के खिलाफ जनता खुल कर सड़क पर आई है अभी सडकों पर नेताओं से निपटने और उनसे इस्तीफे जबरन लिखवाने का इन्कलाब तो नहीं आया है लेकिन रोज़ रोज़ के अपराधों से और घोटालों से तंग आकर अब इस मामले में जुबानी इन्कलाब आ गया है जुबानी जंग शुरू हो गयी है ..सांसदों के अमर्यादित आचरणों पर ..रूपये लेकर सवाल पूंछने ..रूपये लेकर वोट डालने ..रूपये लेकर निधि कोष का दुरूपयोग करने ......बिना किसी वजह के संसद से अनुपस्थित रहने और महत्वपूर्ण मुद्दों पर संसद में वोट डालने के वक्त रूपये लेकर बाहर होजाने के मामले इतने गंभीर है सभी लोग जानते है लेकिन इस पर कानून बनाने ...अंकुश लगाने और ऐसे लोगों को बेनकाब कर जेल की सींखचों में डालने के मामले में कोई संसद या पार्टी का नेता चर्चा नहीं करना चाहता इस मामले में चोर चोर मोसेरे भाई है लेकिन ऐसा आखिर कब तक चलेगा ..अन्ना कमजोर और सरकार से दबने वाले सरकार से सोदेबजी करने वाले हो सकते है ..बाबा रामदेव किसी पार्टी विशेष के एजेंट हो सकते है लेकिन अब यह आवाज़ सेटिंग बाजों सोदेबाज़ों और डरपोक कायरों की नहीं रही यह आवाज़ के संसद और संसद में निर्वाचन के कानून बदलना चाहिए सांसदों के लियें विशेष मर्यादित कोड ऑफ़ कन्डक्ट होना चाहिए और चोर बेईमान निकम्मे सांसदों को वापस बुलाने का कानून होना चाहिए किसी एक की आवाज़ नहीं देश की आवाज़ बन चुकी है संसद में बेठे ५४४ सांसद और २६० राज्यसभा सदस्य और उनकी पार्टी के नेता पूर्व सांसद अगर यह समझते है के ऐसा ही चलता है कुछ दिनों जनता चिल्ला कर खामोश हो जायेगी तो वोह गलत सोचते है सांसदों को खुद को अपना जमीर टटोल कर देखना चाहिए के किन लोगों के साथ वोह संसद में बैठते है क्या उन्हें खुद अपनी अंतरात्मा की आवाज़ पर देश की आवाज़ में आवाज़ नहीं मिलाना चाहिए देश को भ्रष्टाचार से बचाने के लियें खुद जनता के साथ मिलकर कोई कदम नहीं उठाना चाहिए केवल और केवल वेतन का बिल ही सर्वसम्मति से पास किया जाता है तब यह संसद जनता के सामने मंगते नज़र आते है लेकिन कोई तो देश भक्त कोई तो राष्ट्रभक्त कोई तो जनता भक्त कोई तो गारी भक्त नेता कभी सांसद बनेगा और जनता की आवाज़ बनेगा तभी अब यह जुबानी इन्कलाब शांत होगा वरना तो एक तूफान के पहले की खामोशी सा माहोल लगता है देखते है आगे क्या होता है संसद की यह अंग्रेजी ईस्ट इण्डिया कंपनी के चंगुल से देश आज़ाद होता है या नहीं संसद दिवस पर सभी को मुबारकबाद हमारी संसद और हमारा लोकतंत्र का शुद्धिकरण हो इसी दुआ के साथ संसद दिवस जिंदाबाद ......अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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