इस सिलसिले में पुलिस ने बताया कि शुक्रवार की सुबह 10 बजे के आसपास बाबूपुर पटवारी हलके की 50 एकड़ सरकारी आराजी (नंबर-1451)पर उस वक्त विवाद की स्थिति उत्पन्न हो गई, जब यहां से तकरीबन आधा दर्जन से ज्यादा हथियारबंद युवकों के साथ स्कार्पियो क्रमांक-एमपी 19 सीए 2011 से पहुंचे भाजपा के पूर्व पार्षद धर्मेन्द्र सिंह घूरडांग ने मौके पर झोपड़े बना रहे भूमिहीन ग्रामीणों को रोकने की कोशिश की।
पुलिस ने बताया कि इसी सरकारी आराजी से सटी धर्मेन्द्र सिंह की साढ़े 12 एकड़ जमीन है। इसी बीच गाली-गलौज, झड़प और मारपीट के दौरान बात इस कदर बिगड़ी कि पूर्व पार्षद धर्मेन्द्र सिंह घूरडांग ने थर्टी रायफल से फायर कर दिया। गोली सीधे 50 वर्षीय जगन कोल तनय लक्ष्मण कोल के सीने पर लगी और वह वहीं पर गिर पड़ा। इन्हीं लोगों ने ग्रामीणों के झोपड़ों मे आग भी लगा दी। प्रत्यक्षदर्शियों के आरोप के मुताबिक गोली चलते ही मौके पर पहले से ही 40 की संख्या में मौजूद हरिजन-आदिवासियों की भीड़ ने लामंबद होकर हमलावरों की घेराबंदी की और उन पर टूट पड़े।
कहते हैं,इस अप्रत्याशित हमले में हमलावर संभल नहीं पाए। उग्र भीड़ को जो मिला उसी से चौतरफा हमले शुरु हो गए। धर्मेन्द्र सिंह का संतुलन बिगड़ा और रायफल हाथ से छूट गई। लोगों ने रायफल छीन कर उन पर जानलेवा प्रहार किए। स्थिति यह बनी की हमलावार युवकों के हथियारों से ही ग्रामीणों ने उनकी बेदम पिटाई करनी शुरु कर दी। बाकी साथी तो भाग गए लेकिन धर्मेन्द्र सिंह तनय देवेन्द्र सिंह उनके सगे दो भांजों-विप्पू सिंह और वीनू सिंह (दोनों पुत्र कामता सिंह) सभी निवासी घूरडांग बुरी तरह से घिर गए।
ग्रामीणों ने इन तीनों को मौके पर ही पीट-पीट कर मार डाला। आरोप है कि लाशों को वहीं पर जला देने की कोशिश भी की गई। उधर, गोली लगने से घायल जगन को बाबूपुर सरपंच शिमला कोल का पति शिववरण ने इलाज के लिए यहां जिला अस्पताल लाने की कोशिश की मगर रास्ते में ही उसकी भी मौत हो गई। इस खूनी संघर्ष में लौकेश सिंह, ललन सिंह और एक अन्य गंभीर रुप से घायल हो गए। तीनों किसी तरह से जान बचा कर भागने में कामयाब रहे। तीनों का यहां विरला अस्पताल में इलाज चल रहा है।
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