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19 मई 2012

बताइए, मुझे मंत्री पद से क्यों हटाया ?

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जयपुर .पूर्व मंत्री मास्टर भंवरलाल मेघवाल ने कहा है कि मुझे गम नहीं कि मैं मंत्री रहूं या न रहूं, दर्द ये है कि मुझे किसी ने भी हटाने का कारण क्यों नहीं बताया। वे कहते हैं कि शिक्षा मंत्री के रूप में उन्होंने बेहतरीन काम किया। काम के मामले में मेरा कंपीटिशन तो मुख्यमंत्री से था। वे पहले जाते हैं कि मैं पहले।

अपना काम खत्म करने के बाद ही मैं तो सचिवालय से निकलता था। रात के 12-12 बज जाते थे। वे यह भी कहते हैं कि आज के कांग्रेसी विधायकों में भगराज चौधरी को छोड़कर वे सबसे वरिष्ठ हैं। उन्हें यह भी पीड़ा है कि उनकी बेटी बनारसी देवी पीएचडी हैं और इसके बावजूद उसे पार्टी ने मौका नहीं दिया। बातचीत के अंश :


> आपको मंत्री पद से क्यों हटाया गया?

मैं तब से कांग्रेसी हूं, जब कहा जाता था : एक कांग्रेसी बताओ, हजार रुपए ले जाओ। ये 1977 का दौर था। विधानसभा चुनाव में तो कांग्रेसी ढूंढ़े नहीं मिलते थे। मैंने शिक्षक की नौकरी छोड़कर चुनाव लड़ा। हार गया। पूरे राज्य में पार्टी को 41 सीटें मिलीं। मैं उस जमाने का कांग्रेसी हूं। मुझे हटा दिया तो हटा दिया, मैं न असहाय, न कमजोर हूं।

> ..लेकिन कारण क्या रहा?

मुझे अभी तक ये नहीं बताया। न मुख्यमंत्री ने, न वासनिक ने। इन्हें हटाने का अधिकार तो था, लेकिन कारण तो बताना चाहिए था।

>आरोप तो औरों पर भी थे?

न मैं उस बारे में कुछ कहता, न इस पर ध्यान रखता हूं।

>चर्चा है कि बढ़ते कद के कारण आपका नाम मुख्यमंत्री पद के लिए चल पड़ा था।

मैं इसमें नहीं जाता। मैं समर्पित कार्यकर्ता हूं। मुझसे मेरे कद के बारे में आप बात मत कीजिए..

>आपने गुपचुप पूरे राज्य का दौरा किया?

हां, मैं राज्य के काफी हिस्सों में गया। मुझे हटाने से लोगों की भावनाएं उद्वेलित हो रही थीं।

>आपने राजनीति से किनारा करके नमक बेचना क्यों शुरू कर दिया है?

नमक तो मैं 77 से बेच रहा हूं। मेरा नमक सबने खाया है। 77 में जब चुनाव हारा तभी से मैंने ये काम शुरू कर दिया था।
>1980 में आपको टिकट नहीं मिला तो आपने पार्टी छोड़ दी!

पहाड़िया और बूटासिंह ने मेरी टिकट काट दी। मेरे नेता चंदनमल बैद थे। उनकी चली नहीं। मैं पर्चा भरकर दिल्ली चला गया। लौट रहा था तो कार खराब हो गई। लेट हो गया। पर्चा उठा नहीं सका था।

>और आपने बगावत करवा दी!

नहीं, मुझे तो पता ही नहीं था। पूरी पार्टी में बगावत हो गई। लोगों ने मुझे चुनाव लड़वाया। उन्होंने ही पैसा लगाया। सबकी जमानत जब्त हो गई। मैं एमएलए बन गया। बाद में माथुर साहब पार्टी में ले आए।

>तबादलों को लेकर आपकी बेटी भी चर्चा में रही हैं।

इसमें जीरो पाइंट ट्रिपल जोरो वन परसेंट भी सचाई नहीं है। यह एकदम गलत है। मैंने सबसे ट्रांसपेरेंट काम किया। एक ही बार तबादले किए। पंद्रह से 20 हजार। बनारसी तो 1995 में साढ़े 21 साल की थी तो जिला प्रमुख बनी थी।

>उन्हें बाद में मौका क्यों नहीं दिया गया?

नहीं दिया तो नहीं दिया।

>और नेताओं के बेटे-बेटियां तो इतने आगे बढ़ गए!

और नेताओं की एप्रोच है। हमारी नहीं। मैं सबसे पुराना हूं। मेरी एप्रोच कौन करे?

>आपको अपना भविष्य कैसा दिखता है?

ये देख लो मेरे हाथ की रेखाएं, मेरा भविष्य बहुत उज्ज्वल है।

>ये आपको किस ज्योतिषी ने बताया?

मैं खुद ज्योतिषी हूं। दूसरा ज्योतिषी मुझे क्या बताएगा!

>सरकार में एससी प्रतिनिधित्व कैसा है?

जितना भी है, अच्छा है।

>लेकिन आप जैसी काबिलियत?

कुर्सी पर बैठते ही काबिलियत आ जाती है!

>चुनाव पूर्व हालात के बारे आप क्या सोचते हैं?

लास्ट का सवा-डेढ़ साल बहुत इंपॉर्टेंट है। उत्तराखंड में भाजपा ने खंडूरी को छह महीने से कुछ पहले बागडोर सौंप दी होती तो नतीजे कुछ और होते। यहां सीएम 20-20 घंटे मेहनत कर रहे हैं तो कांग्रेस दुबारा क्यों नहीं आएगी!

>तो क्या यहां भी छह महीने से ज्यादा पहले नेतृत्व परिवर्तन होना चाहिए?

नहीं, मेरा मतलब ये नहीं है ..और मैं इस कंट्रोवर्सी में पड़ना भी नहीं चाहता।

>सरकार का कामकाज अब कैसा है?

सही मॉनिटरिंग हो जाए, गांव-ढाणी तक कार्यकर्ता सक्रिय हो जाएं तो इस सरकार को आने से दुनिया की कोई ताकत नहीं रोक सकती।

>तो कमी क्या है?

मुझे ये कहने में हिचक नहीं कि आज की तारीख में कार्यकर्ता जूझ नहीं रहा है। ब्यूरोक्रेसी का कामकाज करने का तरीका सही नहीं है।

>सीपी जोशी से आजकल आप काफी मिलते हैं।

मैं सभी से मिलता हूं। सब दोस्त हैं। डॉ. चंद्रभान से भी, अशोक गहलोत से भी।

>आपकी पार्टी के विधायक बार-बार दिल्ली जाकर सरकार की शिकायतें कर रहे हैं?

ये मुख्यमंत्री जी से पूछो।

>आप दिल्ली जाकर सोनिया गांधी या राहुल गांधी से नहीं मिले?

मिलता रहता हूं, लेकिन अकेला मिलता हूं। किसी के साथ नहीं जाता।

>भंवरी प्रकरण में विधानसभा में कोई एससी विधायक नहीं बोला।

भंवरी कांड जाने और ये कांड करवाने वाले जानें! मैंने कभी इसमें झांकने की कोशिश नहीं की।

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