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19 मई 2012

'मैंने कभी जूते व जींस नहीं पहनी, मेरे लिए सबसे ज्यादा जरूरी इंजीनियर बनना है

सीकर.घर और आस-पड़ोस में बचपन में देखी गई तकनीक गांवों में आईआईटीएन को जन्म दे रही हैं। आईआईटी-जेईई में सलेक्ट 70 फीसदी लड़के-लड़कियां गांवों से हैं। खाखोली गांव के आनंद सिंह शेखावत भी इन्हीं से एक हैं। 1856वीं रैंक हासिल करने वाले शेखावत ने पांच साल की उम्र में पड़ोस के घर में टीवी पर इंजीनियरिंग से जुड़े विज्ञापन देखे।

इन विज्ञापनों से आईआईटी तक जाने का जुनून मिला। अब सिविल इंजीनियरिंग की ब्रांच चुन रहे हैं। एससी वर्ग में फस्र्ट रैंक हासिल करने वाले रविकुमार को भी पड़ोस के दोस्त के दसवीं कक्षा में कम मार्क्‍स के बाद भी आईआईटी तक पहुंचने से प्रेरणा मिली।

इंजीनियरिंग में 70 फीसदी स्टूडेंट ग्रामीण इलाकों से आते हैं। इनमें वे स्टूडेंट ज्यादा है, जिन्होंने हिंदी मीडियम में पढ़ाई करके इंग्लिश मीडियम से आए स्टूडेंट को पीछे छोड़ दिया है। आईआईटीज का सर्वे बताता है, ऐसे छात्र जिनकी पारिवारिक आय वार्षिक एक से तीन लाख के बीच हैं, वे आईआईटी में अधिक सफल हो रहे हैं।

गांवों से ज्यादा सलेक्शन की बड़ी वजह

इंजीनियरिंग में बेहतर भविष्य और घर के हालात बदलने की चाह उन्हें आईआईटी तक पहुंचा रही है। एक्सपर्ट्स बताते हैं, गांव के बच्चे हुनरमंद तो हमेशा से हैं। जब से उन्होंने पढ़ाई के लिए शहर का रुख किया है, तब से तस्वीर और तकदीर बदलने लगी है। हुनर को किसी सीढ़ी की जरूरत नहीं होती। वह अपनी मंजिल खुद पाता है। ग्रामीण इलाकों में प्रतिभा चप्पे-चप्पे हैं और अब वह उड़ान भर रही है।

इंजीनियर्स को देख जागी तमन्ना

'टीवी पर इंजीनियर्स को देखकर इंजीनियरिंग बनने का सपना देखा। शायद सब हैरान होंगे यह जानकर मैंने कभी जूते व जींस नहीं पहनी। लेकिन, मेरे लिए इन सबसे ज्यादा जरूरी सिविल इंजीनियर बनना है।'

आनंद सिंह शेखावत
खाखोली गांव निवासी,
आईआईटी में 1856वीं रैंक


आईआईटी में बढ़ता दबदबा

हर साल आईआईटी की तैयारी करते हैं 10,000

आईआईटी तक इस बार पहुंचे 550

हर साल तैयारी करने वाले विद्यार्थियों की संख्या बढ़ती है 600

अब तक आईआईटी में चयन 1500

इंजीनियरिंग में छोटे गांवों की ऊंची उड़ान

> इंजीनियरिंग में गांवों से छात्र : 70.0 फीसदी

> शहरों से इंजीनियरिंग में सफल छात्र : 30.0 फीसदी

> राजस्थान बोर्ड से आने वाले विद्यार्थी सफल : 49.0 फीसदी

> सीबीएसई से सफल होते हैं : 45.7 फीसदी

> एक लाख से कम आय वाले और एक से तीन लाख तक की पारिवारिक आय वाले छात्रों की सफलता : 48.8 फीसदी

> तीन से छह लाख तक की पारिवारिक आय वाले छात्रों के पास होने का प्रतिशत : 30.5 फीसदी

> बड़ी कंपनियों में सलेक्शन गांवों से : 20.0 फीसदी

> शहरों से बड़ी कंपनियों में सलेक्शन हर साल : 15.0 फीसदी

> सरकारी नौकरी में गांवों से इंजीनियर : 90.0 फीसदी

(यह सभी आंकड़े आईआईटी में सलेक्शन और इंजीनियरिंग कॉलेजों की सर्वे रिपोर्ट पर आधार पर)


आईआईटी के लिए काउंसलिंग शुरू

आईआईटी की दस हजार सीटों पर दाखिले के लिए शनिवार को काउंसलिंग शुरू हो गई। पहली दफा ऑनलाइन काउंसलिंग हो रही है। चयनित अभ्यर्थी घर बैठे ऑनलाइन के जरिए वे अपनी रैंक के आधार पर विषय और प्रवेश पाने वाले संस्थान का चयन कर सकेंगे। अंतिम तिथि दस जून की शाम पांच बजे तक है।

विद्यार्थी दो आईआईटी के लिए ऑप्शन दे सकते हैं। बाद में आईआईटी रैंक व सीटों के हिसाब से आईआईटी आवंटित करती है। पहले दिन की काउंसलिंग में सबसे ज्यादा रुझान कम्प्यूटर ब्रांच को लेकर ही दिखा। कोचिंग संस्थानों ने भी काउंसलिंग के लिए शिविर शुरू कर दिए हैं।

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