आपका-अख्तर खान

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21 मई 2012

सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्तान हमारा ..लेकिन हम बुलबुले जो है इसके गिद्ध बन कर इसे खसोट रहे हैं

दोस्तों इकबाल ने क्या खूब कहा के सारे जहाँ से अच्छा हिन्दुस्तान हमारा हम बुलबुले है इसके यह गुलिस्तान हमारा .....इकबाल ने यह सारी दुनिया घुमने के बाद लिखा था जब उन्होंने यह अलफ़ाज़ लिखे तब हमारा देश गुलाम था ...हमारे देश का बटवारा नहीं था और देश अख्नद भारत था ..लेकिन यह लाइनें उनके जब प्रकाशित हुई तब देश आज़ाद भी हो चूका था और देश का बटवारा और टुकड़े भी हो चुके थे आज हमारा हिंदुस्तान तो अपनी जगह है इसे तोड़ने की कोशिश करने वाले लोगों के लियें कफ़न तक कम पढ़ गए हाँ ..पाकिस्तान अलबत्ता टूट कर बिखर गया है और भी कई राष्ट्र हैं जो बिखर कर टूट गए है ......दोस्तों यह तो हुई इकबाल की बात लेकिन हमारे एक साथी हाल ही में उनके लडके के बुलावे पर विदेश गए थे विदेश क्या गए इंटरनेश्नल वीजा था इसलियें सभी प्रमुख देशों में उन्हें घुमने का मोका मिला .उन्होंने आकर विदेश के हर शहर की खूबसूरती का वर्णन किया ..काफी देर बाद हमारे साथी एडवोकेट आबिद अब्बासी ने कहा के भाई यह तो सब ठीक है लेकिन आप तो यह बताओ के सारे जहाँ से अच्छा ................आबिद भाई यह कहते इसके पहले ही इन जनाब ने जोर से कहा के हिन्दुस्तान हमारा ..आबिद भाई ने कहा के ऐसा क्यूँ समझते हो ..विश्व के विभिन्न स्थानों पर घूम कर आने के बाद इन जनाब का जवाब था के भाई वहां अगर चोकलेट खाओ तो उसकी पन्नी कहाँ फेंके ढूँढना पढ़ता है .............जर्दा नहीं कहा सकते .....गुटका नहीं कहा सकते ..पान बीडी सिगरेट की तो बात ही अलग है ...उन्होंने कहा के इतना ही नहीं सु सु अगर आ जाये तो कोसों दूर सुसु घर तलाश कर वहां सुसु करना पढ़ता है लेकिन हमारे देश में तो यह सब सुविधा जनक है कहीं भी चोकलेट खाओ पन्नी फेको ..कहीं भी सुसु करो ..कहीं भी पार्किंग करों ..कहीं भी थूको मजे ही मजे हैं ..खेर यह तो हुई मजाक की बात इन जनाब ने भी यही कहा के यह तो मजाक की बात है एक फेलु तो यह है ही सही लेकिन दूसरा और मजबूत पहलु यह है के हमारे देश में प्यार है ..मोहब्बत है ..सद्भाव है एक दुसरे के लियें एक दुसरे का दर्द है अगर किसी की भी तबियत खराब हो जाए या फिर हादसा हो जाए तो अस्पताल में उसकी तबियत पूंछने वालों की लाइन लग जाती है इतना ही नहीं पडोस में को भी अच्छी सब्जी बने तो बिना किसी भेदभाव के एक दुसरे को चाव से खिलाने के लिएँ सब्जियों का आदान प्रदान भी करते है ..प्यार देते है प्यार लेते है खूब लड़ते भी है और फिर एक दुसरे के दुःख दर्द में काम बह आते है ..आज हालत यह है के हमारे देश का ब्रेन और मास्टर ब्रेन विश्व के हर कोने में है जो हमारे इसी देश में पैदा होता है इसी देश में पलता बढ़ता है और इसीलियें विश्व अपर भारतीय ब्रेन का कब्जा है ...उनका कहना था के यह हमारा देश ही है जहाँ देश के लियें मर मिटने का जज्बा है ..देश के लियें कुर्बानी देने का जज्बा है यहाँ विधवा ..पीड़ित ..शोषित और बेसहारा लोगों को इन्साफ देने के लियें विशिष्ठ कानून है और इसी लियें कहते है के सारे जहाँ से अच्छा हिन्दुस्तान हमारा क्योंकि यहाँ पवित्र गंगा है ..यहाँ ख्वाजा का दरबार है ..यह सांई बाबा का मदिर है .....यहाँ क्रिकेटर हैं ..यह एक्टर है .....यहाँ माँ की ममता है ..यहाँ बुजुर्गों का सम्मान है ....यहाँ हिमालय है यहाँ सभी धर्मों को मानने की आज़ादी है गंगा जमना संस्क्रती है हजारों बोलियों और जातियों के इस देश में विरोधाभास के बाद भी एकता है इसीलियें तो कहते है के सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्तान हमारा है ॥ एक दुसरे सज्जन आये के जनाब इकबाल ने सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्तान हमारा जब कहा था था तब हम इसके बुलबुले थे और इसीलियें यह गुलिस्ता हमारा था लेकिन आज हालात बदल गये है हिन्दुस्तान तो हमारा सारे जहाँ से अच्छा था अच्छा है और अच्छा रहेगा लेकिन हम और हममे से ही कुछ लोग बुलबुले नहीं रहे भक्षक बन गए ..गिद्ध बन गये ..लुटेरे बन गये .....रंगा सियार बन गये ..हम इस गुलिस्तान को नोच नोच कर खाना चाहते है हमने इस गुलितान को बर्बाद करना शुरू कर दिया है यहाँ की सुख शांति खत्म करने की हमारे अपनों ने ही थान ली है क्योंकि यह लोग कानून के डंडे से जेल में तो जाते है लेकिन जमानत होने पर फिर से संसद में जाकर गुर्राते है और अगर इनको चोर कहो तो फिर यह विशेषाधिकार हनन की बात करते है ...कहने को तो बात कहां से शुरू हुई और कहां खत्म हुई लेकिन एक विचार एक संदेश जरुर इस वार्ता ने छोड़ा सोचा के आपसे भी शेयर करूं आपको भी बोर करूं केसी लगी यह उबाऊ डिस्कशन बताइए जरुर भाई ....अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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