नई दिल्ली. बहुचर्चित लोकपाल बिल एक बार फिर से लटक गया है। लोकपाल बिल को सोमवार दोपहर राज्यसभा में बहस के लिए पेश किया गया। हालांकि सोमवार की कार्यवाही की सूची में इसका उल्लेख नहीं था। केंद्रीय कार्मिक मामलों के राज्य मंत्री वी नारायणसामी ने इसे सदन के पटल पर रखा। लेकिन लोकपाल बिल को सेलेक्ट कमेटी में भेजने का प्रस्ताव पारित किया गया। प्रस्ताव के पास होने के बाद बिल को 15 सदस्यीय सेलेक्ट कमेटी को भेज दिया गया। सेलेक्ट कमेटी तीन महीने में अपनी रिपोर्ट देगी। अब सेलेक्ट कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद ही राज्यसभा में लोकपाल बिल पर चर्चा हो सकेगी।
बिल को कमेटी को भेजे जाने पर सदन में जबरदस्त हंगामा हुआ। बीजेपी ने बिल को ज्वाइंट सेलेक्ट कमेटी को रिफर किए जाने का विरोध किया है। बसपा सुप्रीमो मायावती ने बीजेपी का समर्थन किया है। स्पीकर की कुर्सी पर बैठे पी जे कुरियन को सदन की कार्यवाही सुचारू रूप से चलाने में काफी मशक्कत करनी पड़ी।
बीजेपी और बसपा ने सपा के सदस्य द्वारा बिल को सेलेक्ट कमेटी को भेजे जाने के प्रस्ताव का विरोध किया। मायावती ने कहा कि सरकार को इस मामले में सदन की प्रक्रिया का पालन करना चाहिए था। नारायण सामी ने सदन को बताया कि 15 सदस्यीय कमेटी मॉनसून सत्र के आखिरी हफ्ते के पहले दिन तक अपनी रिपोर्ट पेश कर सकती है। 15 सदस्यों वाली सेलेक्ट कमेटी में अरुण जेटली, राजीव प्रताप रूडी, राम गोपाल यादव, सतीश चंद्र मिश्र और डीपी त्रिपाठी शामिल हैं लेकिन राजद का कोई सदस्य नहीं है।
राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष अरुण जेटली ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार जानबूझ लोकपाल बिल पारित करने में देरी कर रही है। उन्होंने कहा, 'पीएम इस बारे में साफ-साफ बताएं कि वह लोकपाल चाहते हैं या नहीं। सरकार इस पर खेल कर रही है और पिछले सत्र की तरह हथकंडे अपना रही है।'
लोकसभा में पारित लोकपाल बिल के कुछ प्रावधानों पर सर्वसम्मति नहीं है। सरकार राज्यसभा में अल्पमत में है। जहां पिछले साल यह बिल पारित नहीं हो सका था।
25 जुलाई से टीम अन्ना का अनशन
इस बीच, टीम अन्ना के सदस्य भ्रष्टाचार के खिलाफ 25 जुलाई से दिल्ली के जंतर-मंतर पर अनशन पर बैठेंगे। हालांकि अन्ना हजारे खुद इस बार अनशन पर नहीं बैठेंगे। टीम अन्ना ने सरकार की आलोचना करते हुए कहा है कि ऐसे में जबकि संसद की कार्यवाही समाप्त होने में केवल दो दिन बचे हैं, सरकार केवल खानापूर्ति करने के लिए इसे राज्यसभा में पेश करने जा रही है। टीम अन्ना की सदस्य किरण बेदी ने ट्विटर पर लिखा, "नया विधेयक लोगों को गुमराह करने, खानापूर्ति करने और विपक्षी दलों पर जिम्मेदारी थोपने के उद्देश्य से पेश किया जा रहा है।"
टीम के सदस्य अरविंद केजरीवाल ने आरोप लगाया कि सरकार लोकपाल बिल में जानबूझकर देरी कर रही है। उन्होंने कहा, 'यदि बिल पारित हो गया... तो उन्हें मालूम है कि उनके अधिकारी परेशानी में फंस जाएंगे। लोकपाल बिल मौजूदा सत्र में पारित नहीं हुआ तो यह प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की ओर से सबसे बड़ा विश्वासघात होगा।' शांति भूषण ने कहा कि सरकार बिल पारित करने से डर रही है। वे यह जानते हैं कि बिल पारित हो गया तो सत्ता में मौजूद कई लोग जेल जाएंगे। इसी वजह से वे इसे पारित नहीं होने दे रहे।
क्या बदला, किस पर गतिरोध
> सीबीआई की निगरानी लोकपाल को दी जाए या नहीं इस पर सर्वसम्मति नहीं है।
> लोकपाल के साथ लोकायुक्त की नियुक्ति के प्रावधान को सरकार ने हटा लिया है।
> सीबीआई चीफ की नियुक्ति में और पारदर्शिता लाने के प्रावधान संशोधित बिल में नहीं हैं।
> लोकपाल को हटाने के दो विकल्प हटा लिए हैं। 100 सांसदों के हस्ताक्षर वाले पत्र पर राष्ट्रपति हटा सकेगा लोकायुक्त को।
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