दो साल की सजा काटी। फिर उसने फैसला लिया देशभक्ति और अमन का संदेश देने का। 24 सितंबर 2010 को मुंबई से कश्मीर तक पैदल मार्च के लिए निकले अल्ताफ ने मंगलवार को कुंडली बॉर्डर से हरियाणा में प्रवेश किया। अल्ताफ के मुताबिक वह 1999 में 18 वर्ष की उम्र में आतंकी बनने पाक गया था। उसे पीओके में ट्रेनिंग दी गई और कर्नल अफगानी नाम देकर तबाही मचाने के लिए वापस भेज दिया गया। दिल की आवाज पर उसने एके 47 रायफल को सीमा पर ही फेंक दिया।
साथी के बयान पर पकड़ा गया
वह घर पर रह रहा था तभी उसके साथ आतंकी ट्रेनिंग लेने वाला एक युवक पकड़ लिया गया। उसके बयान पर आर्मी ने उसे भी गिरफ्तार कर लिया। उसे कश्मीर की जेल में दो साल तक रखा गया। जब उसका किसी भी आतंकी घटना या संगठन से संबंध साबित नहीं हुआ तो उसे रिहा कर दिया गया। उसके बाद उसने देश प्रेम व अमन का संदेश देने का फैसला लिया और मुंबई से कश्मीर तक पैदल मार्च पर निकल पड़ा।
देश के लिए कुर्बान है जीवन
अल्ताफ का कहना है कि उसकी जान को आतंकियों से खतरा है, लेकिन उसे इसकी परवाह नहीं है। अल्ताफ ने युवाओं को संदेश दिया कि पैसे के लालच में कभी देश के साथ गद्दारी न करें। भारत जैसा प्यारा और इंसानियत की कद्र करने वाला देश पूरे जहां में नहीं है।
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