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12 अप्रैल 2012

मां-मां चिल्लाते हुए अर्थी से उठा, खाना खाया और फिर चल बसा

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रायपुर. छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े आंबेडकर अस्पताल में एक मरीज 27 साल के मनोज (ध्रुव) सोनवानी के साथ अजीब घटनाक्रम हुआ। डॉक्टरों ने मंगलवार रात उसका डेथ सर्टिफिकेट जारी करने के बाद शव को मर्चूरी में भिजवा दिया था।

कल बुधवार को अंतिम संस्कार के लिए उसे ले जाने की तैयारी थी। दोपहर करीब तीन बजे अर्थी पर उसे लिटा दिया गया था। अचानक युवक मां-मां चिल्लाते हुए खड़ा हो गया। करीब 35 घंटे बाद गुरुवार रात करीब एक बजे घर पर मनोज की मौत हो गई। मनोज लालपुर का रहने वाला था। उसे टीबी के इलाज के लिए आंबेडकर अस्पताल में भर्ती किया गया था। चार दिनों से उसका इलाज चल रहा था।


मनोज के भाई भोला ने बताया कि 10 अप्रैल यानी मंगलवार की रात 12 बजे अस्पताल के डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। घर में मातम छा गया। बुधवार को परिजन उसके कथित शव को डिस्चार्ज कराकर अस्पताल से लालपुर पहुंचे। दोपहर करीब 3 बजे उसे अर्थी पर लिटा दिया गया। अंतिम संस्कार के लिए ले जाने को तैयारी हो ही रही थी कि अचानक मनोज अर्थी से उठ बैठा।

परिजन और मोहल्ले के लोग सकते में आ गए। रोते लोगों की आंखों से खुशी के आंसू निकलने लगे। बात केवल यहीं खत्म नहीं हो जाती। अस्पताल के डॉक्टरों को इसकी भनक लगी तो पूरी टीम दौड़े-दौड़े मनोज के घर पहुंची। डॉक्टरों को इस बात की चिंता सताने लगी कि उनकी पोल न खुल जाए।

डेथ सर्टिफिकेट और अन्य जरूरी कागजात घर वालों से लेकर पूरी टीम लौट गई। मनोज के परिवार को समझ में ही नहीं आया कि डॉक्टरों की टीम अचानक घर पहुंचकर दस्तावेज क्यों लेने लगी। भास्कर संवाददाता गुरुवार दोपहर को उसके घर पहुंचा तो मनोज खाना खा रहा था।
सामान्य रूप से बातचीत कर रहा था। हालांकि उसकी हालत बहुत अच्छी नहीं थी। लेकिन गरीब परिवार के ये लोग उसे दोबारा अस्पताल लेकर जाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे थे। आधी रात को अचानक मनोज की तबियत बिगड़ी। कुछ देर बाद उसने दम तोड़ दिया।
अस्पताल के रिकार्ड में मौत का उल्लेख नहीं
आंबेडकर अस्पताल के डॉक्टरों का कहना है कि मनोज सोनवानी रात को बिना बताए अस्पताल से चला गया था। परिजनों ने उसे अस्पताल से ले जाने की सूचना नहीं दी। अस्पताल के रिकार्ड में उसकी मौत का कोई उल्लेख नहीं है। जबकि उसके भाई दावा है कि डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया था। दूसरे दिन घर से आकर कागजात भी ले गए हैं।

- सामान्यत: बिना मरीज की मृत्यु के मृत्यु प्रमाणपत्र जारी नहीं किया जाता। मामले की जानकारी नहीं है। इस संबंध में शुक्रवार को एमआरडी से पता कर बता पाऊंगा। -डॉ. एके पडऱाहा, प्रवक्ता आंबेडकर अस्पताल
- मेरा भाई जिंदा है। डॉक्टरों ने उसे मृत बताकर हमारे हवाले कर दिया था। अचानक वह जिंदा हो गया। हम लोगों ने उसे अपने घर में ही रखा है। अभी वह सबसे बात कर रहा है। -भोला (ध्रुव) सोनवानी, मरीज का भाई (

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