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12 अप्रैल 2012

इन्दोर में इंटरनेट कनेक्शन तक नहीं है साइबर सेल के पास


इंदौर। साइबर थानों की लंबी मांग के बाद इंदौर और भोपाल में साइबर सेल खोले गए। मगर अफसोस कि सेल खुलने के दो महीने बाद भी सेल में इंटरनेट कनेक्शन तक नहीं है। इतना ही नहीं सेल के एसपी रैंक के अधिकारी के पास प्रकरण दर्ज करने का अधिकार भी नहीं है। सवाल है कि अब तक सिर्फ मामले दर्ज करने वाली यह सेल औपचारिकता भर है।

कैसे रोकेंगे अपराध निहत्थे सिपाही

प्रदेश में पिछले कुछ सालों से साइबर थानों की मांग की जा रही थी, जिसके बाद फरवरी 2012 में भोपाल और इंदौर में साइबर सेल खोले गए। जितना हाईटैक ये अपराध है उतनी ही घटिया सेल्स की व्यवस्था है। साइबर क्राइम से लड़ने के लिए सबसे पहले जरूरत पड़ती है इंटरनेट कनेक्शन की। तीन महीने हो गए हैं इन्हें कनेक्शन का आवेदन दिए हुए लेकिन पुलिस मुख्यालय ने अभी तक इसकी मंजूरी नहीं दी है।

साइबर सेल में जिस तरह का टैक्निकल स्टाफ होना चाहिए वो भी यहां नहीं है। न ही इन्हें किसी तरह की एडवांस ट्रेनिंग दी गई है। ट्रेनिंग के नाम पर इन्हें सिर्फ कम्प्यूटर और इंटरनेट की बेसिक जानकारी दी गई है। ये लोग फेसबुक और ई-मेल भी ठीक से नहीं समझते। विभाग के पास न तो इनके लिए बजट है और न कोई योजना। ऐसे में हाईटेक क्राइम से किस तरह लड़ा जाएगा।

एफआईआर भी दर्ज नहीं कर सकते

इंदौर साइबर में एक एसपी, एक डीएसपी, एक एएसआई, एक हेड कांस्टेबल और तीन कांस्टेबल हैं। सात लोगों के इस स्टाफ में सिर्फ एसपी ही इस क्षेत्र में विशेषज्ञ हैं। इनका काम सिर्फ मुख्यालय से पत्राचार तक ही सीमित रखा गया है। इनके एसपी के पास भी अपनी मर्जी से प्रकरण दर्ज करने के अधिकार नहीं हैं। इनका काम सिर्फ इतना है कि ये शिकायतें साइबर मुख्यालय भोपाल भेज दें। अगर वहां के अफसर शिकायत को इस लायक समझते हैं तो एफआईआर दर्ज कर इन्हें रिकॉर्ड भेज देते हैं।

फिलहाल बजट नहीं है

अभी सेल खोलने के लिए नोटिफिकेशन नहीं मिला है। बजट भी तय नहीं है, इसलिए इंटरनेट सहित अन्य खर्च मंजूर नहीं किए गए हैं। हम मानते हैं कि स्टाफ को जरूरी ट्रेनिंग नहीं दी गई है, इसके लिए हम उचित व्यवस्था कर रहे हैं। फिलहाल सेल का काम साइबर अपराधों में पुलिस की मदद करना है। साइबर सेल का प्रदेश में एकमात्र थाना भोपाल में खोला जाएगा। जिसकी ब्रांच इंदौर, ग्वालियर में भी होगी। अभी शिकायतें मुख्यालय भेजने को कहा है लेकिन भविष्य में उसी शहर में एफआईआर दर्ज हो जाएगी।
- संजय चौधरी, एडीजी, साईबर सेल, भोपाल

किन अपराधों से था निपटना

- किसी की साइट हैक करना।

- फेक ई-मेल से होने वाली परेशानियां।

- अपने नाम की गलत साइट खोलना।

- इंटरनेट बैंकिंग में पासवर्ड चुराकर दूसरे के खाते से ट्रांजेक्शन करना।

- मोबाइल फोन्स से जुड़े सभी मामले।

- साइबर से जुड़े सभी तरह के अपराध

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