तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
10 अप्रैल 2012
दुःख तकलीफ के लम्हे चाहे निकल जाते हों लेकिन एक एक लम्हा गिन गिन कर निकलता है यारों इसीलियें कहते है के दुआ करो खुदा किसी को दुःख ना दे यारों
दुःख के दिन याद केसे रखे जाते है ..इसका अहसास आज मुझे उस वक्त हुआ जब में मेरी एक अदद पत्नी के टूटे हाथ पर पक्का प्लास्टर चढ़वाने गया ..जी हाँ दोस्तों टोंक राजस्थान से ताल्लुक रखने के कारण मेरी एक अदद धर्म पत्नी ..शरीके हयात धर्म प्रेमी है और वोह बात बात में मुझे धार्मिक शिक्षाएं देती रहती है ..सच तो यह है के अगर आज जो कुछ में ब्लॉग और फेसबुक पर लिखता हूँ उसमे से काफी कुछ उन्ही के दिमाग की प्रेरणा होती है ..खेर मुझे हर वक्त तनाव से दूर रहने....दुःख के वक्त सुख के वक्त को याद करने और दुःख के वक्त को तुरंत भूल जाने की सलाह देने वाली मेरी इस शरीके हयात का दांया हाथ तीस मार्च को टूटा था और जनाब उसी दिन डोक्टर साहब ने हड्डी जमाकर कच्चा प्लास्टर लगा दिया था ..गोलियें चली ..दवाइयां चलीं ..लेकिन दुःख और तकलीफ तो होती ही है ..हर वक्त सुबह सवेरे उठते ही कम्प्यूटर टेबल पर चाय नाश्ता देना ..बच्चों को तय्यार करना ...घर के सारे काम करना ..अदालत जाने के पहेल खाना खिलाना ..नहाने के लियें कपड़े ..अन्डर वियर बनियान वगेरा देना रोज़ की दिनचर्या थी लेकिन सीधे हाथ में चोट आने से वोह बेबस थीं ..और सभी काम दुसरे लोग कर रहे थे .......दिल से वोह दुखी थीं के उनकी वजह से सभी तकलीफ में है उन्हें दिलासा दिया ..खेर दिन कटते गए ..दवा गोलियां चलती रहें .....दिनचर्या के काम में मेरी बिटिया जवेरिया और सदफ उनकी मदद करने लगीं ..मेरी मम्मी ने भी उन्हें साहस बंधाया लेकिन जब खुद पर पढ़ी तो खुदा याद आया ..बेचारी सब्र और शुक्र सब भूल गयी और उनकी सीख के दुःख के दिन तो जाने वाले होते है इन्हें क्या याद रखना खुद ही भूल गयी आज डोक्टर ने पक्का प्लास्टर चढाने के लियें जेसे ही कहा के पांच सात दिन तो लगे हुए हो गए होंगे तो तपाक से हमारी शरीके हयात ने केल्कुलेटिव जवाब दिया के नहीं पुरे ग्यारह दिन तीन घंटे का वक्त हो गया है ..में उनका यह जवाब सुनकर अवाक सा सोचता रहा के दुःख तकलीफ का वक्त गुजर जरुर जाता है लेकिन एक एक लम्हा और एक एक दिन गिन गिन कर गुजरता है और खुदा से यही सोचता रहा के एक खुदा तू मेरी शरीके हयात को जल्दी ठीक करना और इसके तुफेल में किसी को भी कोई दुःख कोई तकलीफ मत पहुंचाना .................
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
... दुआ करो खुदा किसी को दुःख ना दे यारों
जवाब देंहटाएंयानी दुःख खुदा देता है। फिर तो वह खुदा न हुआ शैतान हो गया।