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06 अप्रैल 2012

सी बी आई का नेता की गिरफ्तारी के लियें अलग रुख और लेट लतीफी से नाराज़ है हाईकोर्ट

सी बी आई के मामले में राजस्थान हाई कोर्ट ने धीमी गति से जांच चलाने और नेताओं के साथ सहानुभूति रखने पर गम्भीर टिपण्णी करते हुए इसे बंद कर देने तक की टिपण्णी कर डाली है ..कहने को तो यह एक सहज टिपण्णी है लेकिन अगर इस टिपण्णी का राजनितिक मतलब और अपराधियों में भेदभाव ..उनके प्रति सम्मान और उन्हें दी गयी सुविधाओं के बारे में देखें तो हाईकोर्ट ने अब तक जो देखा है ..जितनी पत्रावलियां देखी है उन्ही के हिसाब से यह गुबार जनता के सामने पेश किया है ...सरकारों और जान्च एजेंसियों का इस तरह का पक्षपात का रवय्या जिसमे नेता के नाम पर सभी पार्टियाँ एक हो जाती है नेताओं को तो शाही सुविधाएं चाहे सरकार किसी की भी हो पक्ष हो या विपक्ष हो तो फिर यह लोग अपराध क्यूँ नहीं करेंगे कितनी घिनोनी बात है के सरकार में मंत्री रहने के बाद भी एक एडिशनल आई जी से सांठ गांठ कर उसक ताकत का दुरूपयोग करते हुए निहत्थे किसी भी व्यक्ति को पुलिस की गोलियों से मरवा देना ..यह तो एक बात है जिसे पुलिस ने पकड़ लिया हमारे राजस्थान में मंत्रियों के कहने पर पुलिस ने ना जाने कितने लोगों के खिलाफ झूंठे मुकदमे दर्ज कर उन्हें जेल भेजा है और ना जाने कितने लोगों को म़ोत के घाट उतार दिया है ..न जाने कितने लोगों को हिस्ट्री शीटर घोषित करवा दिया है ....नेताओं को अफसरों का सलाम अपनी पसंद के अफसर मनमानी जगह लगवा कर अधिकरियों को हथियार के रूप में इस्तेमाल करने वाले यह नेता जब ऐसा करते है और सी बी आई इनकी आव भगत कर इन्हें जल्दी जमानत की सुविधा मिले इनके खिलाफ गिरफ्तारी के साथ बिना किसी रिमांड के इन्हें चार्ज शीट पेश करवा कर जेल भिजवा देती है तो फिर जनाब चोर चोर मोसेरे भाई की कहावत सही हो जाती है ..आप खुद ही सोचिये जब एक अधिकारी मंत्री या सरकार के नुमाइंदे मिल जुल कर अपराध करते है तो फिर नेता की क्या मजाल जो वोह किसी अधिकारी के खिलाफ कोई सख्त रुख जनता के हित में कर ले और जनाब राजस्थान में या पुरे देश में यही हाल है ..कलेक्टर हो ..एस पी हो कोई भी अधिकारी हो किसी नेता मंत्री की सुनते ही नहीं मंत्री पत्र लिखता है कचरे की टोकरी में वोह पत्र जाता है ..फोन करता है उसकी सुनवाई नहीं होती है क्योंकि यह अधिकारी मंत्रियों को कुछ गलत काम करके या उनसे करवाकर उन्हें जीवन भर ब्लेक मेल कर जनता पर नोकर शाही को हावी करते है और इसीलियें राज्थाना में ही नहीं पुरे देश में नोक्र्शाहों के कारण जनता मुसीबत में है त्राहि त्राहि है कुछ नेता अगर इसे सुधारना चाहते है तो लोग उसे अनुशासन हीनता कहकर इंकार कर देते है ...........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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