अर्थी को कांधा देने का काम हजारीलाल की बेटियों कमला देवी, कांता, बीना तथा शीला ने किया। इस काम में उनके भाइयों अनिल, राकेश एवं मुकेश ने भी उनका साथ देने की बात कही। मुखाग्नि पौत्री यीशु से दिलाई गई। घर के सदस्यों ने मृत्यु भोज भी नहीं करने का निर्णय लिया है।
परिवार की महिलाओं का कहना है कि अर्थी को कांधा देने के लिए हर किसी को बेटे की चाहत होती है। इसी धारणा को बदलने के लिए हमने यह पहल की। मृतक के बेटे अनिल की पत्नी रेखा सांवरिया करौली में मजिस्ट्रेट हैं। बेटियों की इस पहल की लोगों में चर्चा रही और सभी ने इसकी प्रशंसा की। बेटियों को कांधा देते हुए देखने के लिए काफी ग्रामीण एकत्र हुए।
इस परंपरा को आगे बढ़ाना चाहिए।
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