वहीं, एक-दूसरे के परस्पर विरोधी सूर्य व शनि ग्रह का शुक्रवार शाम को आमना-सामना होगा, परंतु जिन लोगों को इन ग्रहों के कुप्रभाव से अनिष्ट की आशंका है, उन्हें डरने की जरूरत नहीं है। बृहस्पति (गुरु) ग्रह की मेष राशि में रहते हुए शनि पर पूर्ण दृष्टि पड़ने वाली है, जो शनि के कुप्रभाव को खत्म कर देगी। यह कहना है शहर के कई ज्योतिषियों का।
उनके अनुसार कुछ पंडितों ने सूर्य व शनि के एक-दूसरे के सामने आने पर इन राशियों से प्रभावित जातकों को कष्ट होने व पिता-पुत्र के रिश्तों में दरार आने की संभावनाएं जताई है, जिससे लोग इन ग्रहों के कुप्रभाव से बचने पंडितों से उपाय पूछ रहे हैं। पं. धर्मेंद्र शास्त्री के अनुसार शनि अपनी उच्च राशि तुला में हैं और अब सूर्य जो शनि के पिता हैं, वे भी अपनी उच्च राशि मेष में 13 अप्रैल को प्रवेश करेंगे। इस कारण सूर्य व शनि का अपनी-अपनी उच्च राशि में 29 वर्ष बाद आमना-सामना होगा। दोनों एक-दूसरे को पूर्ण दृष्टि से देखेंगे। सूर्य प्रकाश व शनि अंधकार का स्वामी है। दोनों परस्पर विरोधी ग्रह हैं।
खास कर वे लोग प्रभावित होंगे, जो शनि की ढैया और साढ़े साती से ग्रसित हैं। वृषभ, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या तुला व मकर राशि के जातक सबसे अधिक प्रभावित होंगे। पं. भंवर लाल शर्मा का कहना है कि गुरु ग्रह के मेष राशि में रहने से इसकी पूर्ण दृष्टि शनि पर रहेगी, जो शनि के कुप्रभाव को कम करेगी।
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