धारीवाल गुरुवार को विधानसभा में आय से अधिक संपत्ति जब्त करने के लिए लाए गए विधेयक पर हुई बहस का जवाब दे रहे थे। उन्होंने माना कि भ्रष्टाचार बढ़ा है। भ्रष्टाचार के संबंध में पूर्व गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया पर कटाक्ष करते हुए धारीवाल ने कहा, जब रामबाग होटल में अफसरों को बुलाकर फैसले किए जाते थे, तब आप चुप क्यों रहे? इससे पहले विपक्ष के उपनेता घनश्याम तिवाड़ी ने कहा कि इस विधेयक से भ्रष्टाचार के राक्षसों पर अंकुश लगेगा। यह पहल अच्छी है। इस विधेयक में आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने पर तो अंकुश का प्रावधान है, लेकिन उसके उद्गम पर नियंत्रण का प्रावधान नहीं है। प्राधिकृत अधिकारी की नियुक्ति पर सवाल नहीं उठने चाहिए।
पूर्व गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि यह आधा-अधूरा और कच्चा कानून है, इससे देश नहीं सुधरेगा। सरकार की मंशा में खराबी है इसलिए इसमें सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को नियुक्त करने की गली छोड़ी गई है। प्राधिकृत अधिकारी और विशेष न्यायाधीश की नियुक्ति के लिए अलग सलेक्शन बोर्ड होना चाहिए। भाजपा के ओम बिड़ला ने कहा कि एसीबी सीधे सरकार के नियंत्रण में काम करती है। सरकार इसका इस्तेमाल अपने निहित उद्देश्य के लिए कर सकती है। इसलिए स्वतंत्र एजेंसी होनी चाहिए। 3 साल में राज्य मंत्रिमंडल के कई सदस्यों पर भी आरोप लगे, परंतु उन पर कार्रवाई नहीं हुई। एसीबी और लोकायुक्त जैसी संस्थाओं को कमजोर कर दिया गया।
राव राजेंद्र सिंह ने कोर्ट के प्रसंज्ञान लेने से पहले ही संपत्ति जब्त करने को गलत बताया। उन्होंने कहा कि सद्भावना पूर्वक की गई कार्रवाई के लिए संबंधित अफसर को दंडित न करने का प्रावधान हटाया जाना चाहिए। किरण माहेश्वरी ने कहा कि गलत कार्रवाई करने पर संबंधित अधिकारी को दंडित करने का प्रावधान होना चाहिए। सत्तापक्ष के प्रतापसिंह खाचरियावास ने कहा कि विधेयक से डरने की जरूरत नहीं है। इसमें कमियां हो सकती हैं, उन्हें दूर किया जा सकता है।
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