आपका-अख्तर खान

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22 अप्रैल 2012

अन्ना ऐसा क्या करते हैं जो उन्हें जासूसी का डर लगता है ..क्या वोह राष्ट्रविरोधी हरकतों से जुड़े हैं..क्या वोह कानून तोड़ रहे हैं

दोस्तों आखिर वही हुआ जिसकी पेशन गोई पहले ही कर दी गयी थी ....अन्ना और उनके साथी कुछ ना कुछ ऐसा गलत कर रहे थे जो या तो जनता के खिलाफ था या फिर वोह कानून की मर्यादाओं के खिलाफ कुछ किया जा रहा था और शायद इसीलियें अन्ना और उनकी टीम को कथित वीडियो रिकोर्डिंग से दर लगा और उन्होंने मुफ्ती काज़मी पर जासूसी का आरोप लगा डाला ..........अन्ना और उनकी टीम की चाल ढाल और हार से साभी वाकिफ है .उनके पास धन कहाँ से आ रहा है ..उन्हें सपोर्ट किस पार्टी और संगठन से मिल रहा है ..अन्ना अपनी वाली क्यूँ चलाना चाहते है ..मुंबई अनशन से अन्ना क्यूँ रन छोड़ कर भागे ..उत्तर प्रदेश चुनाव में अन्ना और उनकी टीम कहा गायब थी ......बाबा रामदेव के पुराने आन्दोलन का अन्ना और समर्थकों ने मजाक क्यूँ उढ़ाया और जब अन्ना को भरी जनसमर्थन था तब अन्ना ने बाबा रामदेव के सहयोग का प्रस्ताव क्यूँ ठुकराया ..अब ऐसा क्या बदलाव आ गया था के अन्ना बाबा रामदेव के साथ आन्दोलन करने को तय्यार थे और फिर अचानक अन्ना और उनके समर्थकों ने बाबा रामदेव का साथ छोड़ दिया ........तो दोस्तों यह ऐसे सवाल हैं जिनसे अन्ना और उनके समर्थकों के कारनामों को शक की निगाह से देखा जाता है और फिर अन्ना और उनकी टीम को एक मुफ्ती जो उन्हीं की टीम के हैं उनके द्वारा वीडियो रिकोर्डिंग करने पर उन्हें आपात्ति ऐसा लगता है के अन्ना और उनकी टीम भारत के खिलाफ बम बनाने की तय्यारी कर रही हो या कोई ऐसा गेर कानूनी षड्यंत्र रच रही हो जिसकी पोल खुलने का डर उन्हें सता रहा हो ..दोस्तों अन्ना तो ईमानदार है ..अन्ना तो पारदर्शी हैं ..अन्ना तो कानून का सम्मान करते है फिर आखिर बंद कमरों में मीटिंगों में ऐसा क्या होता है जिसे वोह जनता से छुपाना चाहते है और केवल एक मोबाइल क्लिपिंग से वोह डर गये है ..ऐसे में हम तो यही कह सकते है के अन्ना का आंदोलन आन्दोलन नहीं बलके दाल में कुछ काला है ... क्योंकि एक मुफ्ती काज़मी जो आन्दोलन के वक्त जब रमजानों में इबादत के वक्त वन्दे मातरम् पर इमाम बुखारी का फतवा अन्ना के खिलाफ था अन्ना पर घोर साम्प्रदायिक होने का आरोप था तब काज़मी अपनी कोम से गद्दारी कर अन्ना के साथ खड़े नज़र आये थे ..मुफ्ती काज़मी को तो बे आबरू होकर निकाला जाएगा यह तो उसी वक्त पता था जब उन्होंने खुद के मज़हब से राजनितिक और निजी स्वार्थों के लियें गद्दारी की थी ..........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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