साथ ही मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट को अविलंब कार्यवाही करते हुए मासूम बच्ची को उसके माता-पिता तक पहुंचाने व 20 अप्रैल तक हाईकोर्ट में प्रगति रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए हैं। न्यायाधीश ने आदेश में लिखा, ‘मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट घरेलू हिंसा से महिलाओं के संरक्षण कानून की धारा 12 के तहत मामला दर्ज कर कार्यवाही करें।बालिका के अधिकारों के संरक्षण व उसकी सुरक्षा के लिए उपयुक्त कदम उठाएं।
अस्पताल प्रशासन अदालत को सहयोग करे, ताकि अदालत मासूम बालिका को सही हाथों में सौंपने का निर्णय ले सके। यदि इस मामले में परिजन अपने कत्र्तव्यों से विमुख होते हैं तो उनके विरुद्ध घरेलू हिंसा कानून की धारा 31 के तहत कार्रवाई की जाएगी।’
अविलंब उपलब्ध कराएं डीएनए रिपोर्ट :
न्यायाधीश मेहता ने कहा कि यह आदेश देश में लिंगानुपात में असंतुलन के मद्देनजर पारित किया जा रहा है। न्यायालय ने अस्पताल प्रशासन को निर्देश दिया कि इस संबंध में उपलब्ध विशेषज्ञ रिपोर्ट सीजेएम को सौंप दी जाए। साथ ही उन्होंने निर्देश दिए कि डीएनए रिपोर्ट अविलंब उपलब्ध कराई जाए। हाईकोर्ट ने इस मामले में अधिवक्ता राजलक्ष्मी चौधरी को न्याय मित्र नियुक्त किया है।
यह है मामला
पिछले सप्ताह उम्मेद अस्पताल में जन्मे एक बालक व बालिका की कर्मचारियों की गलती से अदला-बदली हो गई थी। बालिका को कोई भी अपनाने को तैयार नहीं है, वह फिलहाल अस्पताल की नर्सरी में पल रही है। यह तय करने के लिए कि उसके माता-पिता कौन हैं, सभी पक्षों के रक्त के नमूने डीएनए जांच के लिए दिल्ली भेजे गए हैं। रिपोर्ट आने में करीब दो माह लग सकते हैं। यही जांच जयपुर में होती तो सात दिन में रिपोर्ट मिल जाती।
एक और अच्छी प्रस्तुति |
जवाब देंहटाएंध्यान दिलाती पोस्ट |
सुन्दर प्रस्तुति...बधाई
दिनेश पारीक
मेरी एक नई मेरा बचपन
http://vangaydinesh.blogspot.in/
http://dineshpareek19.blogspot.in/