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10 अप्रैल 2012

तब परिवार की डांट अखरती थी लेकिन आज अपना हाल देख पछताता हूं!

तब दोस्तों के साथ शुरुआत में शौकिया गुटखा खाया करता था, फिर धीरे-धीरे गुटखा खाने की लत ही पड़ गई। उस समय गुटखा खाने का दुष्परिणाम पता होता तो शायद हाथ भी नहीं लगाता। मुंह के कैंसर से पीड़ित नरेन्द्र चौधरी ने बताया कि उस समय परिवार वालों का डांटना अखरता था। अगर उनकी बात तब मान ली होती तो, ये हालत नहीं होती।

महावीर कैंसर हॉस्पिटल में भर्ती नरेन्द्र ने बताया कि वे 20 साल से गुटखे का सेवन कर रहे थे। गुटखे के लंबे समय तक सेवन करने से मुंह में छालों की शिकायत होने लगी, लेकिन लापरवाह रवैये के चलते ना तो जांच करवाई ना गुटखा खाना ही छोड़ सका। जब तकलीफ ज्यादा ही बढ़ गई तो बायोप्सी जांच करवाई, जिसमें मुंह में कैंसर बताया गया।

महावीर कैंसर हॉस्पिटल के डॉ. नरेश सोमानी ने 2 जनवरी को जांच करवाने के सप्ताहभर के भीतर ऑपरेशन करवाने की नसीहत दी। तभी से सोच लिया कि फिर कभी गुटखे को हाथ नहीं लगाऊंगा, बल्कि लोगों को समझाऊंगा कि इसका सेवन नहीं करे।

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