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07 अप्रैल 2012

कानून तोड़ने वाला सोफिया स्कुल ..जिसके आगे कलेक्टर ..एस पी..शिक्षा विभाग ..महापोर ..नेता बेबस होकर नतमस्तक है ..और सोफिया में मनमानी जारी है

सरकारें कितना ही कानून बना लें .कितनी ही निग्रानिया शुरू कर दे लेकिन यह निजी स्कूल और इनके रावण जेसा व्यवहार कोई नहीं बदल सकता यह सच साबित क्या है कोटा के सोफिया स्कूल की हठधर्मिता ने ......राजस्थान में कानून के रूप में राईट टू एजुकेशन के तहत सुप्रीम कोर्ट और संवेधानिक गाइड लाइन पर गरीब बच्चों को स्कूलों में एडमिशन देने का आवश्यक कानून बनाया है और इस कानून की पालना निजी स्कूलों द्वारा की जा रही है या नहीं इसके लियें महापोर कोटा नगर निगम को चेयरमेन और कलेक्टर ..जिला शिक्षा अधिकारी को भी आवश्यक अधिकार दिए है ................लेकिन रोज़ दो नम्बर में एडमिशन कराने वाले लोग सोफिया स्कुल की हठधर्मिता के आगे बेबस है ,,,,,सोफिया स्कुल में पिछले दिनों एडमिशन के दोरान मनमानी की शिकायतें थीं ..इस मामले में पहले महापोर ने जानकारी चाही ...सुचना के अधिकार अधिनियम प्रावधान के तहत विधि अनुसार जानकारी मांगी गयी लेकिन सियान भये कोतवाल तो दर काहे का की कहावत को मानने वाले सोफिया स्कुल के प्रबंधकों के कान पर जूं भी नहीं रेंगी ..ए दिन आम जनता से बदसुलूकी ..सार्वजनिक बोर्ड पर क्लास वाईस खाली पोस्टों जानकारी और प्रवेश नियम की पात्रता जानकारी के मामले में कोई डिस्प्ले पारदर्शिता नहीं है केवल भाजपा के लोगों के इशारे पर यह स्कुल नियमित लोगों पर महरबानियाँ करता देखा जाता है ,,सभी के लियें प्रवेश बंद लेकिन खासों के लियें गुपचुप प्रवेश करना इस स्कूल में आम शिकायत होने पर यहाँ प्रवेश प्रक्रिया और सम्बन्धित दस्तावेजात की जान्च करने के लियें कोटा शिक्षा विभाग की रश्मि शर्मा एक सरकारी अधिकारी के नाते जब स्कुल गयीं तो प्रबंधकों ने उन्हें स्कुल तक घुसने नहीं दिया अपमानित किया ...एक सरकारी अधिकारी किसी राज कार्य से जाए और उसे राज कार्य नहीं करने दिया जाए तो सीधे सीधे ऐसी बाधा पहुँचने वाले लोग राजकार्य में बाधा के दोषी है और किसी भी राजकार्य को रोकने पर प्रबंधकों को शांति भंग ....राजकार्य में बाधा के अपराध में गिरफ्तार किया जाना कानूनी आवश्यकता है ..ऐसे मामले में पुलिस इमदाद लेकर अधिकारी अपने राजकार्य कर सकेंगे ऐसा कानून है लेकिन दोस्तों कोटा के सोफिया स्कुल की गुंडा गर्दी देखिये के चोरी और सीना जोरी के तहत एक तो रिकोर्ड की जाँच नहीं करवा रहे है दुसरे अधिकारीयों के साथ बदसुलूकी कर रहे है ..कलेक्टर बेबस .......पुलिस अधिकारी बेबस ..महापोर बेबस तो फिर जनता की क्या बिसात है ..सोफिया स्कुल के प्रबंधकों का कहना है के कलेक्टर एस पी तो छोटी सी चीज़ है उनकी पहुंच तो दिल्ली में है वहां से वोह चाहे जितने कलेक्टर एस पी बदलवा सकते है और यह लोग तो उनके यहाँ भिखारी बन कर एडमिशन के लियें भीख मांगते रहते है ..दोस्तों कितनी गम्भीर बात है जहां सोफिया स्कुल द्वारा शिक्षा अधिकारी को प्रवेश सम्बन्धित मामलों की जाँच करने के लियें जाने से रोका गया था वहन प्रबंधकों को जेल में रहना चाहिए था लेकिन किशोरपुरा कोटा पुलिस बेबस मुकदमा दर्ज नहीं किया ..पुलिस इमदाद नहीं दिलवाई ..महापोर जी खामोश ..जिला कलेक्टर को शिक्षा अधिकारी ने लिखित में शिकायत की लेकिन सोफिया स्कुल है के आज भी रावण की तरह डटा हुआ है .नियम कायदे कानून इस स्कुल के लियें कोई अहमियत नहीं रखते है ..लेकिन अब हालात बदल गये है कोटा में थोमस नाम के एक इसाई प्रचारक थे जिनके स्वर्गवास के पहले उनकी संस्थाओं में भी इसी तरह की कार्यवाहियां थी लेकिन कोटा की जनता ने उन्हें सडकों पर भी सबक सिखाया था ओर जेल की हवा भी खिलाई थी ..सोफिया स्कुल मामलों में कुछ भाजपा के लोग इस इसाई मिशनरी स्कुल के हमदर्द है तो क्या हुआ जनता तो जनार्दन है विपक्ष खामोश..सरकार की सांठ गांठ और बेबसी तो जनता ही इस मामले में कुछ ना कुछ करने पर मजबूर होगी और देख लीजिये जब भी जनता ऐसे स्कूलों को अपना कानून समझाएगी तो कानून तोड़ने और मनमानी करने वाली सोफिया स्कुल संस्थाओं जेसे प्रबन्धक और प्रिसिप्लों के छुपने के लियें जगह कम पढ़ जायेगी ........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

1 टिप्पणी:

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