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09 मार्च 2012

कैसे 'भयावह' तरीके से काम करता है अवैध खनन का तंत्र, जानिए पूरा सच


भोपाल। खनन माफिया द्वारा मुरैना में आईपीएस अफसर की हत्या ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या लालच की खदानें इतनी गहरी हो गई हैं कि नियम-कायदे, कानून का खौफ सबकुछ इसमें समा गया है? अवैध उत्खनन के मामले समय-समय पर सामने आते रहे हैं। यदा कदा प्रकरण ही बनते हैं लेकिन माफिया के कदम थमते नहीं। प्रदेश में कैसे काम कर रहा है अवैध खनन का तंत्र और इसे रोकने में प्रशासन क्यों नाकाम है, इसे एक नजर में समझाने की हमारी कोशिश है यह..

हकीकत है भयावह
नकली रॉयल्टी बुक छपवा लेते हैं माफिया
खनिज माफिया नकली रॉयल्टी बुक तक छपवा लेते हैं। ऐसा प्रकरण जुलाई २क्११ में हुआ था। चांदपुर थाना क्षेत्र के बिजोरिया खदान से भरी रेत की गाड़ी में फर्जी पास था। आरोपी वेरसिंह अलसिंह को पुलिस ने मामले में गिरफ्तार किया था। खनिज इंस्पेक्टर देविका परमार ने बताया विभाग द्वारा रायल्टी बुक छपवाई जाती है जो ठेकेदार को देते हैं। प्राप्त रसीदें विभाग द्वारा दी गई रॉयल्टी बुक की नहीं थी। कागज अलग था और सीरियल नंबर भी डुप्लीकेट।

3 करोड़ की वसूली नहीं
पिपलौदा तहसील के ग्राम चौरासी बड़ायला में फोरलेन निर्माण कंपनी ने फोरलेन निर्माण के दौरान पूरी पहाड़ी से पत्थर और मुरम खोद डाली। 3 करोड़ रु से ज्यादा की रॉयल्टी बकाया है। विभाग कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर पाया।

नहीं भरने दिया जुर्माना
जिले के पहले खनिज अधिकारी वी.के. सांखला ने नयागांव क्षेत्र से अवैध तरीके से गिट्टी ले जा रहे १क् ट्रैक्टर पकड़े और प्रकरण दर्ज कर ४७ लाख का जुर्माना किया। एक भाजपा नेता चौकी से बिना रॉयल्टी भरे ट्रैक्टर छुड़ा ले गए।

लोगों को भी धमका चुके हैं रेत माफिया
धरमपुरी मंे नर्मदा किनारे रेत उत्खनन के लिए स्वीकृत खदानों में अब रेत नहीं रह गई है। इसके बावजूद हर साल भौतिक सत्यापन के बगैर ही खदानें नीलाम कर दी जाती हैं। ऐसे में ठेकेदार और रेत माफिया कई बार रेत नहीं होने पर अनाधिकृत स्थानों पर खुदाई करते पकड़े गए हैं। इसके विरोध में कुछ नागरिकों ने आवाज उठाई तो उनके धमकाने का मामला सामने आने लगे। इसके बाद लोगों ने एकजुट होकर मोर्चा खोला तब ठेकेदार नरम पड़ा।

न जांच, न नपती
नेमावर रोड और रंगवासा में खदान मालिक स्वीकृत जमीन से दो गुना खुदाई करते हैं। अफसर न तो नपती करते हैं और न जांच। रेत माफियाओं ने नेमावर रोड के उमरिया खुर्द व तरह रेणुका टेकरी को भी नहीं छोड़ा हैं।

नहीं होती चेकिंग
बकौल विधायक जितेंद्र डागा कोलार में बड़े पैमाने पर अवैध उत्खनन व परिवहन हुआ है। इसमें खनिज अफसरों की भी मिलीभगत के कारण कोई चेकिंग नहीं होती। शिकायत कलेक्टर से लेकर प्रभारी मंत्री तक को की है।

क्या है अवैध खनन
- चिह्नित क्षेत्र से अधिक में या किसी अन्य स्थान पर खुदाई करना।
- कई ट्रालियों को एक ही नंबर की रायल्टी रसीद दे देना और ट्रालियों को अलग-अलग समय व दिशा में रवाना करना।
- कोई भी उत्खनन जो ऐसी जगह किया जा रहा हो] जिसके लिए सरकार ने अनुमति न दी हो
- अवैध उत्खनन की श्रेणी में आता है।
- जिस खनिज पर सरकार को रायल्टी न दी जाती हो।
- आवंटित भूमि से लगी हुई भूमि व वन भूमि पर उत्खनन करना।

खनन माफियाओं का गणित
- रायल्टी - 810 रु
- मजदूरी - 200 रु
- ईधन व वाहन खर्च- 250 रु
- कुल- 1260 रुपए प्रति ट्राली
- बाजार मूल्य- 1300 से 1500 रु
(मानक : एक ट्राली रेत)

होशंगाबाद में इस वर्ष की नीलामी के मुताबिक ठेकेदार को प्रति रेत ट्राली पर 810 रु की रायल्टी चुकाना होगी। ठेकेदार अवैध उत्खनन करे तो वह पूरी राशि बचा लेता है। उसे प्रति ट्राली 1000 रु की बचत होती है। बकौल आरटीआई कार्यकर्ता रमजान शेख उत्खनन का एक चौथाई से अधिक हिस्सा अवैध होता है। जुर्माना भले ही बाजार मूल्य से चार गुना हो लेकिन माफिया को फर्क नहीं पड़ता।

मुरैना में पहले भी हो चुके हैं हमले
- 2007 में बानमोर के बटेश्वरा क्षेत्र में तत्कालीन कलेक्टर व एसपी पर फायरिंग की थी।
- 2010 में रिठौरा क्षेत्र में पत्थर माफिया ने वन विभाग के कर्मचारियों व अफसरों पर फायरिंग की थी। तब चार लोग घायल हुए थे।
- 2011 दिसंबर में सेलटैक्स बैरियर के पास शिवनगर में टास्कफोर्स पर फायरिंग की थी।
- 2012 जनवरी में भाजपा नेता ने अफसर से अवैध पत्थर से भरे दो ट्रैक्टर लूट लिए थे।

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