रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य का दंतेवाड़ा यूं तो नक्सलियों के आतंक का पर्याय बन चुका है, लेकिन दूसरी चीज भी है, जो इसे खास बनाती है। यहां का सिद्ध दंतेश्वरी माता मंदिर भारत के 52 शक्तिपीठों में से एक है। मंदिर का निर्माण 14वीं शताब्दी चालुक्य वंश के राजाओं ने करवाया था।
मान्यता है कि भगवान शिव की पत्नी माता सती का दांत के गिरने पर यहां का नाम दंतेवाड़ा पड़ा और देवी का नाम दंतेश्वरी देवी कहलाया। कहा जाता है कि यहां चौरासी गांवों के देव विराजमान हैं, जिसमें मां दंतेश्वरी प्रमुख देवी के रूप में पूजी जाती हैं।
एक समय की बात है कि काकातिया वंश के राजा अन्नम देव यहां आए, तब मां दंतेश्वरी ने उन्हें दर्शन दिए थे। अन्नम देव को माता ने वरदान दिया, जहां तक भी राजा जाएगा, वह भी उनके पीछे-पीछे चलती रहेंगी और वहां तक की धरती पर राजा राज करेगा।
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
20 मार्च 2012
आतंक के गढ़ में जब राजा ने रोके कदम तो रुकी देवी और बना सिद्ध मंदिर
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