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25 मार्च 2012

लोकपाल बिल लाओ या फिर जाओ: अन्ना

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नई दिल्ली. जनलोकपाल और अब मजबूत व्हिसल ब्लोअर बिल की मांग को लेकर जंतर-मंतर पर टीम अन्ना का एक दिवसीय अनशन समाप्त हो गया। अन्ना ने समापन भाषण में अनशन के दौरान शामिल हुए पूरे देश के लोगों को धन्यवाद दिया।
अन्ना ने कहा, '' केंद्र सरकार बहरी हो चुकी है। इसका खामियाजा उसे 2014 के लोकसभा चुनावों में भुगतना पड़ेगा। हमारा नारा है लोकपाल बिल लाओ या फिर जाओ। अब हम सरकार को चिठ्ठी नहीं लिखेंगे। सरकार के पीछे नहीं घूमेंगे। सरकार को राइट टू रिजेक्ट बिल लाना ही होगा। काननू इंग्लैंड में नहीं बनता, यही बनता है। सरकार को भी इस कानून को पास करना ही होगा।'
उन्होंने कहा, ''भ्रष्टाचारा मिटाने के लिए सरकार के मन में खोट है। यदि वह चाहती तो लोकपाल बिल अभी तक पास हो चुका होता। विधान सभा से बड़ी ग्राम सभा है। चंदा लेने के बहाने काले धन की हेराफेरी होती है। सभी राजनीतिक पार्टियां उद्योगपतियों से चंदा लेती हैं। डोनेशन के लिए एक-एक पैसों का हिसाब होना चाहिए।''
उन्होंने कहा, ''मैंने छह कैबिनेट मंत्रियों का विकेट लिया है। अभी कई मंत्रियों का लेना बाकी है। जल्द ही देश भर में घूमूंगा। राज्यों में जाउंगा। अभी नहीं तो कभी नहीं। देश को बदलना ही होगा।''
लालू पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, '' 10-12 बच्चे पैदा करने वाले क्या जाने ब्रह्मचर्य की ताकत। मैंने ब्रह्मचर्य का पालन किया है। अगस्त तक सभी आरोपी मंत्रियों पर केस दर्ज होना चाहिए। यदि ऐसा नहीं हुआ तो हम फिर रामलीला मैदान में एक बड़ा आंदोलन करेंगे। अभी तक हम अकेले थे। अब पूरा देश एक साथ है।''
रामदेव-अन्ना साथ-साथ
अन्ना हजारे ने कहा है कि उनके साथ रामदेव जुड़ गए हैं। रामदेव के अनुयायी अब अन्ना आंदोलन में सहभागी बनेंगे। एक साथ एक शक्ति बनकर भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन करेंगे।
गांधी के सपने को मिट्टी में मिला दिया
अन्‍ना ने कहा कि आज भ्रष्‍टाचार के चलते साधारण लोगों को परिवार चलाना मुश्किल हो गया है। भ्रष्‍टाचारियों ने महात्‍मा गांधी के सपने को मिट्टी में मिला दिया है। टीम अन्ना के अनुसार भ्रष्टाचार उजागर करने की कोशिश में जान गंवा बैठे व्हिसल ब्लोअर्स के परिवार वाले इस दौरान अपनी पीड़ा सबके सामने रखेंगे।
गूंगी-बहरी सरकार

उन्‍होंने कहा, ‘देश में पिछले 10 साल में करीब 25 सच के सिपाहियों (व्हिसल ब्लोअर्स) की हत्‍या हुई है, उनके लिए लड़ने जा रहे हैं। सरकार संवेदनशील नहीं है। उसे इन सिपाहियों के परिवारवालों के आंसुओं से फर्क नहीं पड़ता। सरकार गूंगी-बहरी बन कर बैठी है। जब बड़ा आंदोलन होगा तब सरकार को सुनाई देगा।

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