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04 मार्च 2012

जानिए, क्यों असफल हो जाते हैं शादी के बाद रिश्ते?



अक्सर देखा जाता है कि कई पति-पत्नी के रिश्ते कई बार शादी के कुछ ही दिनों में दरकने लगते हैं। ऐसा तब होता है जब दोनों पक्ष एक-दूसरे को अपनी ओर खिंचने में लग जाते हैं। कई परिवारों में बहुओं आते ही उन पर अपने घर का अनुशासन, जिम्मेदारियां और नियम कायदे इस तरह थोप दिए जाते हैं कि लड़की अपने आप को उस घर में पराया समझने लगती है। लड़के का परिवार उस पर अपनी अपेक्षाओं का इतना वजन रख देता है कि उसके मन में ससुराल के प्रति अपनापन महसूस ही नहीं कर पाती, उसे यह सब केवल जिम्मेदारी ही लगता है।

जबकि नई बहु के साथ ऐसा व्यवहार होना चाहिए कि उसका मन कम समय में ही पति के घर और परिवार को अपना मान ले। भागवत के एक प्रसंग में चलते हैं। भगवान कृष्ण रुक्मिणी का हरण करके भागे। रुक्मिणी के भाई रुक्मी ने उनका पीछा किया और कृष्ण को युद्ध के लिए आमंत्रित किया। भगवान कृष्ण ने रुक्मी से घमासान युद्ध किया और उसे पराजित कर दिया।

जब भगवान रुक्मी को मारने लगे तब रुक्मिणी ने उन्हें रोक दिया। भाई की जान बचा ली। फिर भी कृष्ण ने उसे आधा गंजा करके और आधी मूंछ काटकर कुरुप कर दिया। रुक्मिणी इस पर कुछ नहीं बोली, वो उदास हो गई। लेकिन बलरााम ने रुक्मिणी के मन के भाव ताड़ लिए। उन्होंने कृष्ण को समझाया कि रुक्मी के साथ ऐसा व्यवहार नहीं करना था। वो तुम्हारी पत्नी का भाई है। तुम्हारा परिजन है।

बलराम ने रुक्मिणी से हाथ जोड़कर माफी मांगी। उन्होंने रुक्मिणी से कहा कि तुम्हारा भाई हमारे लिए आदरणीय है और कृष्ण द्वारा किए गए व्यवहार के लिए मैं क्षमा मांगता हूं। तुम उस बात के लिए अपना मन मैला मत करना। ये परिवार अब तुम्हारा भी है, इसे पराया मत समझना। तुम्हारे भाई के साथ हुए दुव्र्यवहार के लिए मैं तुमसे माफी मांगता हूं।

इस बात से रुक्मिणी की उदासी जाती रही। वो यदुवंश में घुल मिल कर रहने लगी और उसी परिवार को अपना सबकुछ मान लिया। नई बहुओं को जिम्मेदारी दें लेकिन उनसे सिर्फ अपेक्षाएं ही ना रखी जाएं, उन्हें आदर-सम्मान और अपनापन भी दिया जाए। बहुओं के आते ही अपने घर के अनुशासन में भी थोड़ा बदलाव करें, जिससे वो अपने आप को उस माहौल में ढाल सके।

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