बदलाव, इंसान के लिए जीवन के मूल्यांकन का सही मौका होते हैं। चूंकि बदलाव बेहतर भी होते हैं और बदतर भी। इसलिए अक्सर अनिश्चय और कुछ खोने के भय से इंसान बदलाव को फौरन स्वीकार नहीं कर पाते। जबकि वास्तविकता यह भी है कि बदली हुई स्थितियों में स्वयं को ढालने पर ही कोई भी बदलाव अंतत: खुशी का कारण ही नहीं बनता बल्कि इंसान को आगे बढऩे का हौंसला और भरोसा देता है।
सनातन धर्म में ऐसे ही सुखद बदलाव का अवसर चैत्र माह शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को माना जाता है। हिन्दू माह चैत्र के शुक्ल पक्ष का पहला दिन यानी प्रतिपदा तिथि धार्मिक और लोक मान्यताओं में बहुत ही शुभ माना जाता है। दरअसल, चैत्र शुक्ल प्रतिपदा (23 मार्च) से हिंदू नववर्ष के आरंभ होने का मूल भाव भी यही है कि जीवन से अज्ञान, अशांति व कलह रूपी अंधकार यानी सारे कष्ट, दुख, दर्द, कठिनाइयां दूर हो और आनंद, सुख, प्रसन्नता और समृद्धि को पाने के संकल्प के साथ आगे बढ़े।
बीते कल की बुरी यादों को छोड़कर नई और बेहतर सोच रख, बुलंदियों को छूने के इरादों से काम का आगाज करने के ऐसे ही बेहतरीन संदेश व सबक देते हैं चैत्र शुक्ल प्रतिपदा यानी हिन्दू नवसंवत्सर व गुड़ी पड़वा से जुड़े धर्मग्रंथों और लोक परंपराओं के अलग-अलग युग व काल के शुभ अवसर व संयोग।
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
21 मार्च 2012
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