महाराष्ट्र में हिंदू नव वर्ष गुड़ी पड़वा के रूप में मनाया जाता है। इस बार यह पर्व 23 मार्च, शुक्रवार को है। इस दिन लोग सुबह स्नान कर सोला (रेशमी) वस्त्र पहनकर अपने घर में छत पर या फिर आंगन में एक पांच से छ: फीट ऊंचा डंडा खड़ा करते हैं। उसे वस्त्र से लेपटते हैं। उसके ऊपर कटोरी, गिलास या लोटा उलटाकर लगा देते हैं एवं काजल से आंख, नाक, कान व मुंह की आकृति बनाते हैं। इसके बाद इसकी पूजा की जाती है व भगवान से पूरा साल अच्छा बीतने की प्रार्थना की जाती है।
इस दिन महाराष्ट्रीयन परिवारों में विशेष रूप से गोड़ भात या केशरी भात(मीठा चावल) व पोरण पोली बनाई व खिलाई जाती है। शाम को लोग एक-दूसरे के घर जाकर नव वर्ष की बधाई देते हैं। मेहमानों को मिठाई खिलाकर, गुलाब जल छिड़ककर कथा इत्र लगाकर उनका सम्मान किया जाता है। गुड़ी पड़वा एक तरह से वर्ष भर की शुभकामनाएं देने का पर्व है। इस पर्व से जुड़ा एक दोहा इस प्रकार है-
आज आहे गुडीपाड़वा गोड़ बोल गाढ़वा।
अर्थात आज गुड़ी पड़वा है, आज मीठे शब्दों का प्रयोग कीजिए।
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
19 मार्च 2012
गुड़ी पड़वा 23 को, शुभ और मीठा बोलने का पर्व है ये
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