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13 फ़रवरी 2012

पाताल में बसा एक ऐसा गांव, जहां कभी नहीं होती है सुबह


छिंदवाड़ा। नॉलेज पैकेज के अंतर्गत आज हम आपको प्रकृति की गोद में बसे एक ऐसे अद्भुत गांव के बारे में बता रहे हैं, जिसके बारे में शायद ही आप जानते हों। किस्सों में आप अक्सर पाताल के बारे में सुनते आए हैं। लेकिन क्या आपने कभी वास्तविक जीवन में पाताल देखा है? नहीं, तो यह जानकर आपको खुशी होगी कि हमारे ही देश में एक ऐसा स्थान है, जो पाताल का दूसरा रूप है। उस अद्भुत स्थान का नाम है - पातालकोट।
नाम से ही स्पष्ट है कि यह पाताल में बसा हुआ है। मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा से 78 किमी. दूर स्थित यह स्थान 12 गांवों का समूह है। प्रकृति की गोद में बसा यह पाताललोक सतपुड़ा की पहाड़ियों के बीच 3000 फुट ऊंची पर्वत श्रृंखलाओं से तीन ओर से घिरा हुआ है। इस अतुलनीय स्थान पर दो-तीन गांव तो ऐसे हैं जहां आज भी जाना नामुमकिन है। ऐसा माना जाता है कि इन गांवों में कभी सवेरा नहीं होता।
पैराणिक कथाओं के अनुसार यह वही स्थान है, जहां से मेघनाथ, भगवान शिव की आराधना कर पाताल लोक में गया था। यही नहीं, यहां के स्थानीय लोग आज भी शहर की चकाचौंध से दूर हैं। उन्हें तो पूरी तरह से यह भी नहीं मालूम की शहर जैसी कोई भी चीज भी है। पातालकोट में ऐसी बेहतरीन जड़ी-बूटियां हैं, जिससे कई जानलेवा बीमारियों का आसानी से इलाज होता है। यहां के स्थानीय लोग इन्हीं जड़ी-बूटियों का प्रयोग करते हैं।

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