नासिक. भारत पूरी दुनिया में अपनी सांस्कृतिक विविधता और धार्मिक आस्थाओं के लिए जाना जाता है. जिस तरह काशी और प्रयाग देश और दुनिया में रहने वाले हिन्दू धर्मावलम्बियों के लिए परम श्रद्धा के केंद्र हैं उसी तरह आधुनिक भारत में शिर्डी सभी धर्मावलम्बियों के लिए अपार श्रद्धा और कौतुहल का केंद्र बन चुका है.
दरअसल, यही वह जगह है जिसके बारे में मान्यता है कि यहीं पर श्रीकृष्ण ने कलयुग में अवतार लिया और साईं बाबा के नाम से प्रसिद्धी पाई. हालांकि एक दूसरी मान्यता के मुताबिक साईं, दत्तात्रेय का अवतार माने जाते हैं.
संभवतः यही एक ऐसे संत, महापुरुष और अवतार हैं जिनकी उपासना भारत में रहने वाले सभी सम्प्रदाय करते हैं. यहां तक की मुस्लिम सम्प्रदाय में भी साईं बाबा को पीर या फ़कीर कह कर उनका सम्मान किया जाता है.
श्री साईं का जन्म कहां हुआ और उनका वास्तविक नाम क्या था इसकी कोई प्रमाणिक जानकरी उपलब्ध नहीं है. माना जाता है कि जब वह शिर्डी पधारे तभी उन्हें साईं की उपाधि मिली.
मान्यता ये भी है कि साईं एक पर्शियन शब्द है जिसका अर्थ 'पीर' या 'फ़कीर' होता है, जबकि संस्कृत में इसी शब्द का अर्थ है 'साक्षात ईश्वर'. 'सबका मालिक एक है' यह एक ऐसा वाक्य है जो साईं बाबा का पर्याय माना जाता है.
दरअसल बाबा के उपदेशों में सभी धर्मों का सार था और संभवतः इसीलिए उन्होंने किसी एक धर्म को मानने की जगह मानव सेवा और उत्थान को ही सबसे बड़ा धर्म माना. कहते है साईं बाबा ने अपना जीवन एक मस्जिद में बिताया और उसी स्थान को आज 'द्वारकामाई' के नाम से संबोधित किय जाता है.
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