इस सृष्टि का संचालन भगवान शंकर की कृपा से ही हो रहा है, जिन्हें वे अपनी जटाओं के माध्यम से करते हैं। कोई व्यक्ति यदि यह मानकर चल रहा है कि आज जो कुछ भी वह कर रहा है वो उसके पुरुषार्थ के कारण हो रहा है तो यह उसका भ्रम या अहंकार है, क्योंकि सृष्टि के संचालन पालन और सहांर का कार्य तो स्वयं शिव कर रहे हैं।
बिना शिव की कृपा के न तो यह संसार चल रहा है और न ही कोई व्यक्ति कुछ करने में समर्थ है। परमात्मा शिव की शक्ति ही है जो प्रत्येक व्यक्ति को कुछ करने का सामर्थ्य प्रदान करती है। इसीलिए सभी को शिव की आराधना में जुटे रहना चाहिए। शिव को भूल यदि कोई यह सोचता है कि वह अपने पुरुषार्थ से कुछ कर रहा है तो यह उसका अहंकार है, जो उसके विकृति और विनाश का कारण बनता है।
जिस तरह आपके घर में विद्युत प्रवाह खंबे से खिंचकर आए तार से हो रहा है और खंबे में प्रवाह पावर हाऊस से आ रहा है। आपके घर में विद्युत से संचालित तरह-तरह के उपकरण भी रखे हुए हैं किंतु यदि विद्युत का प्रवाह फिर चाहे वह खंबे से आपके घर में हो या पावर हाऊस से खंबे तक बंद हो तो आपके घर में रखे वे सारे यंत्र उपकरण निरूपयोगी हो जाएंगे।
आपका घर विद्युत प्रवाह के चलते उपयोगी तो हो सकता है किंतु यह पावर हाऊस नहीं बन सकता। पावर हाऊस तो कहीं और ही रहता है। इसी तरह भगवार शंकर इस सृष्टि के पावर हाऊस है।
भगवान सदाशिव ने ही सप्ताह के सात दिनों का निर्माण किया है और प्रत्येक दिवस का एक अधिपति भी नियुक्त किया है। इसमें सूर्य को रविवार का अधिदेव बनाया गया है, जो आरोग्य को प्रदान करते हैं। उसी तरह सोमवार को शिव की माया का अधिपति बनाया गया है, जो लोगों को सम्पत्ति प्रदान करती हैं। इसी तरह अन्य दिनों के अधिपतियों और उनकी विशेषताओं का निर्माण भी भगवान शिव ने ही किया है।
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