इस ब्लड टेस्ट में टेलोमिअर्स की पड़ताल के आधार पर यह नतीजा निकाला जाता है कि व्यक्ति की बायलॉजिकल एज क्या होगी। यह टेस्ट भारत में इसी साल मुहैया होने लगेंगे। टेलोमिअर्स वे प्रोटेक्टिव कैप्स हैं जो क्रोमोसोम्स के अंत में पाई जाती हैं।
वैज्ञानिकों का मानना है कि इनकी लंबाई के आधार पर व्यक्ति की जैविक उम्र का पता लगाया जा सकता है।
वैज्ञानिकों ने पाया कि व्यक्ति के छोटे टेलोमिअर्स की जांच परख से यह पता लगाया जा सकता है कि व्यक्ति की उम्र बढ़ने के साथ-साथ उसके शरीर में क्या-क्या बदलाव हो सकते हैं, जैसे कैंसर, कार्डियो बीमारियों के बारे में इससे पता लगाया जा सकता है।
यहां दीगर बात यह है कि लोगों की जीवनशैली संबंधी आदतें जैसे मोटापा और व्यायाम से टेलोमिअर्स की लंबाई पर असर पड़ रहा है। टेलोमिअर्स के क्रोमोसोम्स को प्रोटेक्ट करने वाली खोज को 2009 में नोबेल प्राइज मिला था।
इस ब्लड टेस्ट को अंजाम देने वाली टीम के महत्वपूर्ण सदस्य यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास की सेल बायोलॉजी के प्रो. डॉ. जेरी शेय का कहना है कि भारत में भी अब लोग हेल्दी लिविंग को लेकर सजग हैं। लोग जानना चाहते हैं कि उनकी कोशिकाएं (सेल्स) कितनी हेल्दी हैं और वह कितना जिएगा। इस ब्लड टेस्ट से टेलोमिअर्स की लंबाई का पता चलेगा।
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