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29 फ़रवरी 2012

कैद से आजाद न हो सके भगवान, प्रशासन को आया पसीना


कोटा.मंदिर के कमरे में कैद भोले शंकर को आजाद कराने में मंगलवार को भी प्रशासन को पसीना आ गया। दो बार हुई बैठकें भी बेनतीजा रहीं। इस बीच सांसद इज्यराजसिंह मंगलवार को मौके पर पहुंचे और एडीएम को कमरे का ताला खोलने के निर्देश दिए। भरत की जन्मस्थली के एक कमरे में स्थित शिवलिंग को केन्द्रीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने ताला लगाकर बंद कर दिया।

तीन साल से इसे शिवरात्रि पर भी नहीं खोला जा रहा। शहर के प्रबुद्धजन व राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि एक स्वर में इसका विरोध कर रहे हैं। मंगलवार को कलेक्टर जीएल गुप्ता ने प्रबुद्ध नागरिकों व मंदिर-मठ बचाओ समिति के सदस्यों के साथ दो बार बात की लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। अब समाधान के लिए 11 सदस्यीय समिति बनाई गई है, जो बुधवार को बैठकर समस्या का हल ढूंढेंगी।

हटा दिए इतिहास बताने वाले बोर्ड

राज्य सरकार की किताबों में को देश को नाम देने वाले भरत की जन्मस्थली माना है, लेकिन केन्द्रीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने इस ऐतिहासिक सच को ही दबा दिया। कंसुआ के रघुराजसिंह जादौन, शिवनारायण शर्मा, बच्चूसिंह, शंकरलाल अग्रवाल ने कहा कि यहां इतिहास दर्शाने वाले बोर्ड जून-11 तक लगे थे। विभाग ने उन्हें हटाकर अपने बोर्ड लगा दिए।

सांसद ने कहा- ताला खुलवाओ

विवाद के चलते सांसद इज्यराजसिंह एडीएम (सिटी) पोखरमल के साथ मंगलवार को पहुंचे। उन्होंने कमरे का ताला खुलवाकर स्थिति देखी। पुरातत्व विभाग के अधिकारी सुरेश कुमावत से जानकारी लेकर उन्होंने एडीएम को कमरे का ताला खुलवाने और कमरे में रखे स्टोर के सामान को दूसरी जगह शिफ्ट कराने को कहा। इस कमरे में एक कुंड में शिवलिंग है, शेष कमरे में कबाड़ भरा पड़ा है। सांसद भी पुरानी जैसी स्थिति चाहते हैं।

आज फिर होगी बैठक

कलेक्टर जीएल गुप्ता द्वारा बुलाई गई बैठक दो बार बेनतीजा रहने पर मंगलवार को फिर सुबह 11 बजे बैठक होगी। इसके लिए 11 सदस्यीय कमेटी बनाई गई है।

कौन है जिम्मेदार, सहायक संरक्षक से सीधी बातचीत

>कमरे पर ताला किसने लगाया?

- पता नहीं, मैं तो डेढ़ साल से यहां हूं, ताला पहले से लगा है।

>यहां तीन साल पहले पूजा होती थी, अब क्यों नहीं?

- यहां पूजा नहीं होती थी, ताला 20 साल से लगा हुआ है।

>ताला खोलने में क्या आपत्ति है?

- कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन इसके लिए अनुमति लेनी होती है।

>क्या अनुमति लेकर ही ताला लगाया था?

- यह पुरानी बात है, नियमों के अनुसार ही ताला लगाया गया होगा।

>लोग ताला खोलने की मांग कर रहे हैं?

- हां, हम भी माहौल खराब नहीं करना चाहते। मुख्यालय व प्रशासन स्तर पर बात चल रही है।

>यहां की दुर्दशा पर विभाग क्या कर रहा है?

- विभाग मरम्मत कर सकता है, इसमें फेरबदल नहीं कर सकता।

>पूरा परिसर जीर्ण-क्षीर्ण हो रहा है, इसे सुधारने के क्या प्रयास है?

- जैसे-जैसे बजट आता है, वैसे ही कार्य कराते हैं। प्रस्ताव भेजे हैं।

>यह भरत की जन्मभूमि है। यह ऐतिहासिक जानकारी यहां नहीं दर्शाई गई?

- इसकी बुकलेट तैयार कराई जा रही है, शीघ्र ही उसे लोगों को उपलब्ध करा देंगे।

गुमराह करते रहे, जबकि चाबी कोटा में

शिवरात्रि से एक दिन पहले तक विभाग के अधिकारी यह कहकर कि कमरे की चाबी जयपुर मुख्यालय पर है। इसका ताला खोलने में असमर्थता जताते रहे, जबकि चाबी कोटा में ही है। शिवरात्रि के बाद से तीन बार इस कमरे का ताला विभाग की ओर से खोला गया। इससे साबित हो गया कि विभाग के अधिकारी स्थानीय नागरिकों व अधिकारियों को भी गुमराह करते रहे।

शहरवासियों से मिला समर्थन

मंदिर-मठ बचाओ समिति के सदस्य क्रांति तिवारी के अनुसार, चौपाटी पर 60 फीट लंबे बैनर पर महिलाओं व पुरुषों ने हस्ताक्षर कर मंदिर के कमरे का ताला खोलने की मांग की। उनका कहना है कि प्रशासन जनभावनाओं को आहत कर रहा है। भोले शंकर को कैद करने वाले विभागीय अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।

पुलिस में दर्ज कराई रिपोर्ट

बेमियादी धरने पर बैठे नेता खंडेलवाल ने सहायक संरक्षक सुरेश कुमावत के खिलाफ उद्योगनगर थाने में प्रकरण दर्ज कराया। उन्होंने शिवलिंग स्थित कमरे का ताला लगाकर उसके वास्तविक स्वरूप से छेड़छाड़ करने का आरोप लगाया। यहां दूसरे दिन भी धरना जारी रहा। भाजपा अध्यक्ष श्याम शर्मा भी शाम को धरनास्थल पर पहुंचे।

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