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29 फ़रवरी 2012

करकरे पर आरएसएस की हुई किरकिरी


नई दिल्‍ली. सुप्रीम कोर्ट ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के उस बयान पर कड़ा रुख अख्तियार किया है जिसमें उसमें उन्‍होंने कहा था कि एटीएस प्रमुख हेमंत करकरे पर मालेगांव धमाके में हिंदू संगठनों को फंसाने का दबाव था।

26 नंबवर 2008 को मुंबई पर हुए आतंकवादी हमले में एटीएस प्रमुख करकरे सहित तीन बड़े पुलिस अधिकारी शहीद हो गए थे।

कोर्ट ने मालेगांव धमाकों में आरोपी श्रीकांत पुरोहित की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान आज कहा कि आरएसएस प्रमुख को गैर जिम्‍मेदार बयान नहीं देना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि जब मामले की जांच चल रही है तो ऐसे बयान का कोई मतलब नहीं है। पुरोहित की जमानत मामले की सुनवाई 14 मार्च तक टल गई है।

एक अखबार को दिए इंटरव्‍यू में भागवत ने कहा कि मुंबई हमले से पांच दिन पहले करकरे ने उनसे कहा था कि ब्‍लास्‍ट के जुड़े अनसुलझे मामलों में संघ के लोगों को ‘फंसाने’ के लिए उनपर काफी दबाव पड़ रहा है। केंद्रीय पर्यटन मंत्री सुबोध कांत सहाय ने भागवत के बयान पर कहा कि संघ ने महाराष्‍ट्र के एक सिपाही की बेइज्‍जती की है।

मालेगांव सहित कई बम धमाकों की जांच कर रही एनआईए ने आज अदालत के संज्ञान में जब यह बात लाई गई तो कोर्ट ने संघ प्रमुख के बयान की आलोचना की। हालांकि जजों ने कहा कि उन्‍होंने अभी तक इस तरह का इंटरव्‍यू नहीं पढ़ा है। लेकिन कहा कि इस तरह के बयान नहीं दिए जाने चाहिए क्‍योंकि ऐसे बयान अपमानजनक हैं।

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