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29 फ़रवरी 2012

कम वक्त में भी गहरी नींद चाहें, तो अमल करें इन 5 बातों पर..




मानव शरीर की एक सबसे अहम क्रिया है - नींद, शयन या सोना। नींद शरीर के लिए उतनी ही जरूरी है, जितना भोजन या पानी। सुखी और खुशहाल जीवन गुजारने के लिए जरूरी यही होता है कि शरीर की इस क्रिया को कुदरत से तालमेल बैठाकर चला जाए। किंतु भागदौड़ भरे जीवन में कर्म, वचन और व्यवहार के दोष और असंतुलित जीवनशैली शयन क्रिया में खलल डालते हैं। इससे शरीर समस्या, दु:ख और रोग का घर बन जाता है।

हिन्दू धर्मशास्त्र महाभारत में भी जीवन और व्यवहार से जुड़े ऐसे ही पांच कारण बताए गए हैं, जिससे इंसान सो नहीं पाता। अगर आप भी चैन की नींद सोना चाहते हैं तो कारणों को जानें और साधें अपने जीवन को -

महाभारत में लिखा गया है कि -

अभियुक्तं बलवता दुर्बलं हीनसाधनम्।

हृतस्वं कामिनं चोरमाविशन्ति प्रजागरा:।।

सरल शब्दों में इस श्लोक का अर्थ समझें तो नीचे बताए पांच कारणों से इंसान रात में भी जागने का रोगी हो जाता है -
- पहला किसी व्यक्ति को अपने से अधिक शक्तिशाली और मजबूत व्यक्ति से विरोध, मतभेद हो जाए तो टकराव की उधेड़बुन में मन-मस्तिष्क रातों में भी बेचैन रहता है। इसके हल के लिए प्रेम और सहयोग का रास्ता चुनें।

- दूसरा अभावग्रस्त या सुख-साधनों से वंचित इंसान चिंता से जागता रहता है। संतोष और मेहनत का भाव उतारना इस समस्या से निजात दिलाता है।

- तीसरा जीवन जीने के सुख-साधन छिन जाने पर व्यक्ति सो नहीं पाता। इसके लिए धैर्यवान और आशावादी बनें।

- चौथा काम भाव यानी काम वासना से पीडि़त व्यक्ति। इससे बचने के लिए जीवन में संयम रखकर सोने से पहले अच्छे विचारों व देव स्मरण करें।

- पांचवा चोरी करने वाला। चोरी शब्द अन्य अर्थो में यह भी संकेत देता है कि आलस्य यानी कामचोरी या कर्महीनता भी सुकून भरी नींद छिनने वाली होती है। इसके लिये अकर्मण्यता और लालच से बचें।

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