15 फरवरी की देर रात कटकमसांडी में एक बीमार बच्चे की झाडफ़ूंक कराई गई। इसमें एक मेमने (बकरी का बच्चा) का संकल्प कराया गया। झाडफ़ूंक की प्रक्रिया पूरी होते ही मेमना मर गया। उसी रात उस मेमने को नदी के बालू में गाड़ दिया गया। 16 फरवरी की सुबह नदी की ओर शौच के लिए गए लोगों की नजर उस स्थल पर पड़ी, जहां मेमने को गाड़ा गया था। सबसे पहले गांव के दासो ठाकुर की नजर पड़ी।
उस स्थल पर मिट्टी बालू की उपरी परत पर हो रही हरकत से वह घबरा कर इसकी सूचना उसने गांव के मुखिया गिरिश सिंह व वार्ड सदस्य परमानंद पांडेय को दी। सभी मिलकर उस स्थल पर पहुंचकर मिट्टी हटाया, तो पाया कि मेमने की आवाज आ रही है। फिर उसे गड्ढे से निकाला गया। मेमना जैसे ही जमीन से निकला वह दौडऩे लगा। बाद में उसे गांव के कैलू भुइयां को सौंप दिया गया।
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