17 फरवरी, शुक्रवार को विजया एकादशी का व्रत है। इस व्रत का वर्णन धर्म ग्रंथों में भी मिलता है। उसके अनुसार-
त्रेतायुग में जब भगवान विष्णु ने राम का अवतार लिया तब उनकी पत्नी सीता को राक्षसराज रावण उठाकर ले गया। जब राम को पता चला कि सीता लंका में है तो वे वानरों की सेना लेकर लंका जाने लगे। तभी बीच में समुद्र आ जाने के कारण उन्हें रुकना पड़ा। जब उन्हें सागर पार जाने का कोई मार्ग नहीं मिल रहा था तब उन्होंने लक्ष्मण से इस समस्या का हल पूछा तो लक्ष्मण ने बताया कि यहां से आधा योजन दूर परम ज्ञानी वकदाल्भ्य मुनि का निवास हैं हमें उनसे ही इसका हल पूछना चाहिए।
भगवान श्रीराम लक्ष्मण समेत वकदाल्भ्य मुनि के आश्रम में पहुंचे और उन्हें प्रणाम करके अपना प्रश्न उनके सामने रख दिया। मुनिवर ने कहा हे राम आप अपनी सेना समेत फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी का व्रत रखें। इस एकादशी के व्रत से आप निश्चित ही समुद्र को पार कर रावण को पराजित कर देंगे। श्रीराम ने तब अपनी सेना समेत मुनिवर के बताये विधान के अनुसार एकादशी का व्रत रखा और सागर पर पुल का निर्माण कर लंका पर चढ़ाई की। राम और रावण का युद्ध हुआ जिसमें रावण मारा गया।
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
16 फ़रवरी 2012
भगवान श्रीराम ने भी किया था विजया एकादशी व्रत
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